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पुरुषों की तुलना में अब महिलाओं में भी लगातार हार्ट की समस्याएं बढ़ रही हैं, डॉक्टर्स के अनुसार महिलाओं पिछले करीब 5 साल में 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसमें सबसे अधिक उच्च वर्ग की महिलाएं शामिल हैं, जिसमें बिजनेस वुमन और प्रोफेशनल्स भी शामिल है
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इस कार्यक्रम में शामिल होने वाली डॉक्टर एसटी छाबड़ा जो कि इंदौर स्थित दयानंद मेडिकल हॉस्पिटल में कॉर्डियोलॉजी की प्रोफेसर हैं, उन्होंने बताया कि हां यह बात सही है कि शुरू से माना जाता है कि औरतों की तुलना में पुरूष के अंदर हॉर्ट की प्राब्लम ज्यादा दिखाई देती हैं। यह एक ट्रेडिशनल सोच है। हम अब ऐसा बिल्कुल मानकर नहीं चल सकते हैं, औरतों में भी हार्ट की प्राब्लम हो सकती हैं। जब औरतों को पीरियड्स आ रहे होते हैं तब हार्मोंस की वजह से हार्ट अटैक से बचाओ होता है, मगर बदलते हुए जीवन शैली की वजह से गर्भावस्था के अंदर आने वाली प्राब्लम, हाई बीपी, शुगर, एवं अपनी आदतें जैसे व्यायाम ना करना, स्मोकिंग करना जैसी चीजों से हार्ट प्राब्लम पहले से कई प्रतिशत ज्यादा हो गई है। इसमें लगातार वृद्धि हो रही है।
डॉक्टर एसटी छाबड़ा इंदौर से
दस प्रतिशत बढ़ी महिलाओं में हार्ट की समस्याएं
एसटी छाबड़ा कहती हैं कि पिछले पांच सालों की बात करूं तो पहले और अब की तुलना में हर दस मरीजों पर महिलाओं के अनुपात में करीब 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पहले मेरे पास जो मरीज आते थे उसमें हर दस मरीजों में से 4 महिलाएं होती थीं, मगर अब यह आंकड़ा पूरी तरह से बराबर हो गया है। अब जो मरीज आते हैं उसमें 50 प्रतिशत महिलाएं और 50 प्रतिशत की पुरूष होते हैं। मगर हमें हर वर्ग की महिलाएं नहीं हैं। इसमें खास तौर पर उच्च वर्ग की वह महिलाएं अधिक होती हैं, जो कामकाजी हैं। वह बिजनेस या किसी प्रोफेशन से जुड़ी हैं। अक्सर देखा गया है कि ऐसी महिलाओं में तनाव बहुत अधिक है, जिसकी वजह से उन्हें पहले बीपी शुगर होती है और इसके कारण कई बार हार्ट की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। आज कल का लाइफ स्टाईल भी इसका एक फैक्टर है। हमारे सामने एसी भी महिलाएं सामने आईं हैं जिन्हें 30 की उम्र में हार्ट अटैक आया है।
मुम्बई की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हेतन शाह
यह भी है कारण
एसटी छाबड़ा कहती हैं कि वह महिलाएं जिनका गर्भावस्था के दौरान बीपी व शुगर बढ़ा हो, जिनको बार बार गर्भपात होता है, जिनकी फैमिली हिस्ट्री में कोलेस्ट्रॉल रन करता हो, या जिनको नशे वाली आदतें हों, यह भी हार्ट की समस्याओं का कारण हैं। इसके अलावा स्ट्रेस भी इसमें एक मुख्य फेक्टर है। उच्च वर्ग की महिलाओं में स्ट्रेस सेकेंड्री लाइफ स्टाइल यह सब चीजों कहीं न कहीं प्राब्लम को कॉन्ट्रीब्यूट करती हैं। कई महिलाओं को पीरियडस जल्दी आते हैं मेनोपाॅज भी जल्दी आ जाता है या प्रीमेच्योर मेनोपाॅज जल्दी आ जाता है। यह भी हार्ट प्राब्लम्स के ही कारण हैं।
हैदराबाद की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ज्योत्सना मद्दुरी
इसलिए युवाओं में बढ़ रहे हार्ट अटैक खतरा
इसके अलावा मुम्बई से आईं कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हेतन शाह कहती हैं आजकल युवा फिजिकल तो स्ट्रांग दिखने के लिए जिम कर रहे हैं। लेकिन दिमाग को स्ट्रांग करने के लिए जरूरी मेडिटेशन से दूर है। यही कारण हैं कि वे ज्यादा हापर रहते हैं। जिससे बात बात में गुस्सा आना और चिड़चिड़ापन स्वभाव में नजर आता है। वहीं जिससे छोटी छोटी बात पर उनका बीपी और हार्ट रेट तेजी से बढ़ जाता है। जो दिल की बीमारियों को बढ़ावा देता है। आजकल का युवा हाइपर जोन में फंसकर रह गया है। उसे जरूरत है कि वो अपने लिए मेडिटेशन व रिलेक्सेशन के लिए समय निकाले। माइंड स्टेबल रहेगा तो बीपी और हार्ट भी स्टेबल रहेगा। यही कारण है कि पहले के लोग दो तीन हार्ट अटैक के बाद भी सर्वाइव कर जाते थे। इसके अलावा दिल्ली से आईं डॉ. कविता त्यागी कहती हैं कि युवाओं में हार्ट अटैक देखा जाने लगा है इसमें खास तौर पर जिम जाने वाले युवक खास तौर पर इस बात का ध्यान रखें कि वह एस्टोराइट्स ना लें, अगर जिम जाते हैं तो अपने पूरे चेकअप भी करवाएं, क्योंकि कई बार देखा गया है कि जिम ट्रेनर्स भी ट्रेंड नहीं हैं, युवाओं को बहुत जल्दी ट्रांसफॉरमेशन चाहिए होता है तो वह एक्सरसाइज बहुत ज्यादा करते हैं, अगर पूरे चैकअप और जांचे कर लेंगे तो उनको पता होगा कि उनको कितनी एक्सरसाइज करनी है।
दिल्ली की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. कविता त्यागी
स्मोकिंग भी है एक कारण
कार्यक्रम में भाग लेने आईं हैदराबाद की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ज्योत्सना मद्दुरी ने बताया कि महिलाओं में कार्डियक बीमारियों के खतरे बीते कुछ सालों में बदले हैं। चंडीगड़, केरल व तमिलनाडु की कुछ रिसर्च बताती हैं कि महिलाओं में स्मोकिंग का ट्रेंड बढ़ा है। जिससे उनमें दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में स्मोकिंग कई गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा देखने में आया है कि बीते कुछ सालों में महिलाओं में भी नशीले पदार्थों का सेवन बढ़ा है। जिसने उनमें कार्डियक अरेस्ट का खतरा कई गुना बढ़ा दिया है। महिलाओं व पुरुषों में चेस्ट पेन होना सबसे प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा महिलाओं में पेट, गर्दन, जबड़े में दर्द होना और घबराहट के साथ पसीना आना जैसे लक्षण ज्यादा देखने को मिलते हैं।
विशाखापट्टनम से आईं डॉक्टर डॉ. सुजाता
प्रेगनेंसी के दौरान थी बीपी है तो ध्यान रखें
इस कार्यक्रम में विशाखापट्टनम से आईं डॉक्टर डॉ. सुजाता वापरला ने बताया कि जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान बीपी और मघुमेह की समस्या हुई। उन्हें हर साल खुद का हेल्थ चेकअप जरूर कराना चाहिए। इनमें यहीं से दिल की बीमारी की शुरुआत होती है। इसके साथ 30 साल से ज्यादा आयु की महिलाओं को कोलेस्ट्रॉल, बीपी व मधुमेह की जांच जरूर करानी चाहिए।
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