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मेट्रो
– फोटो : विभाग
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बरेली में लाइट मेट्रो की जगह अब मेट्रो चलाने की कवायद शुरू हो गई है। इस प्रस्ताव पर मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बैठक बुलाकर फैसला किया जाएगा। इसके साथ ही बीडीए की ओर से अक्तूबर तक प्रोजेक्ट की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करवाकर शासन को भेजने की योजना है। प्रोजेक्ट को लेकर विशेषज्ञों की टीम सर्वे भी कर चुकी है। इसमें आने वाली बाधाओं का हल इंजीनियरों की टीम निकालने में लगी है।
अधिकारियों के अनुसार मेट्रो तीन तरह की चलती हैं। इसमें मेट्रो, लाइट मेट्रो और मेट्रो नियो शामिल हैं। भारत के किसी भी शहर में लाइट मेट्रो की सेवाएं अभी तक नहीं हैं। इसकी वजह है इंटीरियर, ट्रैक, बोगी, इलेक्ट्रिक वॉल आदि। लाइट मेट्रो में प्रयोग होने वाला अधिकतर यह सामान विदेशों से एक्सपोर्ट करना पड़ता है। इससे प्रोजेक्ट की रकम चार गुना तक बढ़ जाएगी।
वहीं सामान्य मेट्रो के लिए भारतीय एजेंसियों से ही अधिकतर काम लिया जा सकता है। ऐसे में अब प्रशासनिक अधिकारी लाइट मेट्रो की जगह सिर्फ मेट्रो का ही प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजने की योजना बना रहे हैं। इस पर अंतिम फैसला मंडलायुक्त की अध्यक्षता में होने वाली दूसरी बैठक में लिया जाएगा।
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