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ग्वालियर चंबल अंचल की चार लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह कम से कम तीन सीटें जीत रही है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया। भले ही बीएसपी ज्यादा वोट हासिल ना कर पाई हो, लेकिन कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ा है। बसपा भले ही खुद नहीं जीत पाई, लेकिन कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में कामयाब रही।
बसपा ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
ग्वालियर चंबल अंचल की सियासत हमेशा से ही कांग्रेस और भाजपा के बीच घूमती रही है लेकिन कुछ साल ऐसे भी रहे हैं जब बसपा का अंचल में खासा प्रभाव देखने को मिला। ऐसे मौके भी आए हैं जब बीजेपी और कांग्रेस के रूठे नेता बीएसपी के टिकट पर विधायक तक बन गए हैं। इसी उम्मीद के साथ मुरैना भिंड और ग्वालियर लोकसभा सीटों पर कांग्रेस से नाराज नेता बीएसपी के टिकट पर लड़े। उन्होंने चुनाव तो इस उम्मीद से लड़ा था कि जीत जाएंगे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस का खेल खराब कर दिया।
मुरैना लोकसभा सीट का हाल
मुरैना लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से रमेश गर्ग कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे, लेकिन जब उनकी बात नहीं बनी तो वह बहुजन समाज पार्टी से टिकट ले आए। बीएसपी के रमेश गर्ग को मुरैना लोकसभा में 1,79,669 वोट मिले वहीं कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार 52,530 मतों से चुनाव हार गए। बसपा कांग्रेस की हार के अंतर से लगभग तीन गुना ज्यादा वोट ले गई। मुरैना लोकसभा सीट पर बीएसपी ने बीजेपी का भी नुकसान किया है लेकिन चर्चा यह है कि यदि बीएसपी नहीं होती तो कांग्रेस मुरैना जीत जाती।
भिंड लोकसभा सीट का हाल
भिंड लोकसभा सीट से देवाशीष जरारिया 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं पाए। इस बार उन्होंने फिर कांग्रेस का टिकट मांगा नहीं मिला तो बीएसपी से चुनाव मैदान में कूद गए। भिंड लोकसभा सीट पर कांग्रेस के फूलसिंह बरैया को 4 लाख 72 हजार 225 वोट मिले जबकि बसपा के देवाशीष जरिया को 20,465 वोट मिले। फूल सिंह बरैया 64,840 वोटों से चुनाव हार गए। चर्चा है कि बीएसपी ने कांग्रेस का खेल खराब करने का काम किया।
ग्वालियर सीट के आंकड़े
प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट ग्वालियर लोकसभा सीट पर कल्याण सिंह कंसाना कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। वह लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में उतर गए। ग्वालियर लोक सभा सीट कांग्रेस 70,210 मतों से हार गई जबकि बीएसपी के उम्मीदवार को यहां 33,465 वोट मिले। इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस यदि बहुजन समाज पार्टी को साधने में सफल हो जाती तो ग्वालियर चंबल अंचल के चुनाव नतीजे कुछ और होते…
कांग्रेस बोली- वोट कटाऊ पार्टी रह गई है बसपा
अब कांग्रेस का कहना है कि निश्चित रूप से ग्वालियर चंबल अंचल में मुरैना और भिंड लोकसभा सीट पर बसपा ने कांग्रेस का नुकसान किया है। हर बार के चुनाव में बसपा का जनाधार लगातार घटता जा रहा है। बसपा केवल वोट कटाऊ पार्टी रह गई है। वहीं बीजेपी का कहना है कि बसपा का कोई जनाधार नहीं है। जाति की राजनीति जो पार्टियां करती हैं उनको लोकतांत्रिक व्यवस्था में शुभ नहीं मानना चाहिए। बसपा जितनी कभी मजबूत थी उतनी नजर नहीं आती है।
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