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नीट यूजी में अनियमितता और रिजल्ट में गड़बड़ी के आरोप लगातार लग रहे है। स्टूडेंटस और एजुकेशन एक्सपर्टस लगातार एनटीए को शिकायतें भेज रहे हैं। एजुकेशन एक्सपर्ट एग्जाम में चीटिंग और पेपर लीक का आरोप लगा रहे है। हालांकि एनटीए भी हर शिकायत पर जवाब दे रहा है।
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इनमें बड़ा आरोप यह भी है कि बिहार में पेपर लीक हुआ। हरियाणा के एक ही एग्जाम सेंटर के बच्चे टॉप कर गए। ऑल इंडिया रैंक1 वाले 16 छात्रों के परीक्षा हॉल में रोल नंबर आसपास थे। यह गड़बड़ी हरियाणा, यूपी, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और कर्नाटक के टॉपर्स के मामले में आई है। यूपी, तमिलनाडु और गुजरात में रैंक-1 वालों के रोल नंबर काफी करीबी हैं। आरोप यह भी है कि दस डिजिट के रोल नंबर में अंतिम तीन अंक ही अलग हैं, बाकी समान हैं। यह समानता बताती है कि छात्रों को संभवतः एक ही सेंटर अलॉट हुआ है। यानी, एक सेंटर्स से नीट के दो-दो टॉपर निकले। कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट और मोशन कोचिंग डायरेक्टर नितिन विजय ने बताया कि यह चौकानें वाली बात है कि जिस एग्जाम को 24 लाख से अधिक स्टूडेंट्स देते हैं, उसमें 67 बच्चे पूरे में से पूरे नंबर हासिल कर इस एग्जाम को टॉप कर रहे हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि फर्स्ट रैंक लाने वाले बच्चों को भी दिल्ली एम्स नहीं मिल रहा है। 685 नंबर पर 6700 बच्चे हैं। ऐसे में इन बच्चों को कॉलेज में सीट किस आधार पर मिलेगी, कोई नहीं समझ पा रहा। पहली बार एक ही साल में कट ऑफ में बहुत बड़ा इजाफा देखा गया है। पिछले साल 600 नंबर पर जनरल बच्चे को सरकारी कॉलेज मिल गया था, इस साल 640 नंबर वाले को भी कुछ नहीं मिलेगा। इस तरह इस बार 15 से 20 हजार बच्चों का हक मारा जाने के आसार हैं। विजय ने बताया कि हरियाणा के एक ही सेंटर झज्जर से आठ स्टूडेंट टॉपर हैं। इन बच्चों के सरनेम भी गायब हैं। एक ही सेंटर से आठ टॉपर का आना सवाल खड़े करता है। इसके अलावा एनटीए ने एक और चमत्कार किया है। बच्चों के 718 और 719 नंबर भी आए हैं। यह संभव नहीं है।
जब हमने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया तो एनटीए की ओर से बताया गया कि उसने उन बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए हैं जिनका परीक्षा के दौरान समय बर्बाद हो गया था। ऐसे में एक बात तो यह ग्रेस मार्क्स केवल उन्हीं बच्चों को दिए गए जो कोर्ट गए। अगर टाइम बर्बाद हुआ था तो बच्चों को एक्स्ट्रा टाइम ही दिया जाना चाहिए था। ग्रेस मार्क्स देने का कोई औचित्य नहीं बनता। अगर ग्रेस मार्क्स दिए हैं तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि ग्रेस मार्क्स किस आधार पर दिए गए। यह भी साफ होना चाहिए कि जिन बच्चों के 720 में से 720 नंबर आए हैं, उनमें भी कोई ग्रेस मार्क्स पाने वाला है क्या, अगर वह है तो कौन है। हमारी मांग है कि एनटीए नीट एग्जाम वापस करवाए। कम से कम उन सेंटर के एग्जाम तो दुबारा हो जहां के बच्चों के बहुत अधिक नंबर आए हैं। यह लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है। उनको न्याय दिलाने के लिए हम डिजिटल सत्याग्रह चला रहे हैं। अगर जरुरत पड़ी तो न्यायालय की शरण भी लेंगे।
औसत कटऑफ बढ़ी
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से जारी स्टैटिसटिक्स के अनुसार बीते साल नीट यूजी में शामिल अभ्यर्थियों के औसत मार्क्स 279.41 थे, जबकि इस बार यह बढ़कर 323.55 हो गए हैं। ऐसे में करीब 45 अंकों का बढ़ोतरी इसमें देखने को मिली है। इसी के चलते नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की जारी की गई कट ऑफ में भी बढ़ोतरी हुई है। बीते साल जहां पर 137 अंक थे इस बार 164 अंक पहुंच गई है, इसमें 27 अंकों की बढ़ोतरी हुई।
13373 ने किया था प्रश्न को चैलेंज
शिकायतों पर एनटीए की ओर से जारी स्पष्टीकरण में सीनियर डायरेक्टर डॉ. साधना पाराशर ने कहा कि पेपर लीक का कोई मामला सामने नहीं आया है। स्टेट पुलिस की तरफ से भी दर्ज मामले में जांच पूरी नहीं हुई है। वहीं औसत कटऑफ बढ़ने पर उन्होंने फिजिक्स के सवाल का भी हवाला दिया। उन्होंने बताया कि एक प्रश्न पर 13,373 चैलेंज अभ्यर्थियों ने किए थे। इसमें ओल्ड एनसीआरटी और न्यू एनसीआरटी के तहत अलग-अलग आंसर आ रहे थे। ऐसे में पहले प्रोविजनल आंसर की में एक जवाब को सही माना गया था, जिसके चलते 17 विद्यार्थियों के 720 में से 720 अंक आ रहे थे, लेकिन जब विद्यार्थियों की आपत्ति पर दो ऑप्शन को भी सही माना गया, तब 44 विद्यार्थियों की संख्या बढ़ गई, जबकि 6 कैंडिडेट को ग्रेसिंग मार्क्स मिलने पर वे टॉपर लिस्ट में पहुंच गए और उनके भी 720 में से 720 अंक हुए है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने स्पष्टीकरण दिया है कि एक रिट पिटिशन हाई कोर्ट ऑफ़ पंजाब एंड हरियाणा, दिल्ली व छत्तीसगढ़ में दाखिल की गई थी, जिसमें नीट यूजी एग्जाम के कुछ सेंटर्स पर समय की हानि की बात कैंडिडेट ने कही थी। इनका जब सीसीटीवी से मूल्यांकन किया गया, तब यह मामला सही निकला, इसके बाद ही उन्हें अनुग्रह अंक कोर्ट ऑर्डर पर दिए गए हैं। यह भी 1563 कैंडिडेट को दिए हैं।
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