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बढ़ते ट्रैफिक से निजात दिलाने आईटी पार्क चौराहे पर ब्रिज का काम शुरू हो गया है। फिर एक बार हमारे सफर को आरामदायक बनाने के लिए हरियाली की हत्या करना पड़ रही है। रिंग रोड के किनारे पेड़ों का घना आवरण तैयार हो गया था। वन विभाग ने पेड़, पौधों की एेसी प्रज
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इसकी शुरुआत भी हो गई। 40-40 फीट के हो चुके व गहरी छांव देने वाले बादाम के पेड़ भी शामिल हैं। इसके अलावा आम, जामुन, नीम, गूलर, पीपल, गुलमोहर के पेड़ों को भी काटा गया है। वन विभाग ने 2018 में हरियाली महोत्सव के तहत यहां पौधे लगाए थे। 5 साल देखभाल भी की थी। अब यह पौधे बड़े होने लगे थे, लेकिन ब्रिज की साॅलिड एप्रोच के लिए इन्हें कुर्बानी देना पड़ रही है। डीएफओ महेंद्र सिसौदिया का कहना है कि कम से कम पौधे काटने दिए जाएंगे। जिनको बचाया जा सकता है, उनका ध्यान रखा जा रहा है। ट्रांसप्लांट भी किए जाएंगे।
तीन हजार से ज्यादा पेड़ और कटना बाकी
आईटी पार्क से आगे बढ़ेंगे तो मूसाखेड़ी चौराहा आ जाएगा। यहां भी रिंग रोड का ग्रीन बेल्ट हरियाली से भरा पड़ा है। यहां पर भी कुल्हाड़ी की धार हरियाली को उजाड़ने के लिए तैयार है। चौराहे के दोनों तरफ हरियाली का जमकर सफाया किया जाएगा। तीन हजार से ज्यादा पेड़ कट जाएंगे। वहीं लवकुश चौराहा पर सुपर कॉरिडोर की तरफ आ रही भुजा की राह आसान करने पेड़ कटना बाकी हैं।
एक्सपर्ट – सुधींद्र मोहन शर्मा, जल विशेषज्ञ व पर्यावरणविद्
निर्माण एजेंसियों को ट्रांसप्लांट मॉडल अपनाना चाहिए
घने छायादार पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाना बहुत आसान है, लेकिन क्या कभी सोचा है कि एक पौधे को छायादार वृक्ष बनने में 5 से 10 साल लगते हैं। विकास आज की जरूरत है। शहरों में सुगम ट्रैफिक के लिए फ्लायओवर बनाना भी जरूरी है, लेकिन बेहतर होगा कि निर्माण एजेंसियां धड़ाधड़ पेड़ काटने की बजाय उनके ट्रांसप्लांट पर फोकस करे। हरियाली मिटाने से अच्छा है हरियाली शिफ्ट कर दी जाए। बीते 30 से 40 साल में इंदौर से 20 फीसदी से ज्यादा हरियाली नष्ट हो चुकी है। गर्मी में लगातार हीट वेव झेलकर हम इसकी कीमत चुका रहे हैं।
70 के दशक में 30 फीसदी हरियाली शहर में थी, जो अब महज 9 फीसदी रह गई है। हम विकास की कीमत पर विनाश की इबारत लिख रहे हैं। इस साल गर्मी और भीषण जलसंकट हमारे लिए अलार्मिंग सिचुएशन है। अब भी नहीं संभले तो हालात विकट हो जाएंगे।
चिंता में डालने वाले आंकड़े
- 30 प्रतिशत हरियाली थी 70 के दशक में
- 9 प्रतिशत हरियाली रह गई है अब इंदौर में
- 2023 बीते 122 वर्षों में सर्वाधिक गर्म रहा है
- 0.4 डिग्री तापमान बढ़ा था 1851 से 1900 के बीच
- 1.5 गुना वृद्धि हो चुकी तापमान में पिछले 20 सालों में
- 2 से 3 दिन हीट वेव चलती थी पहले
- 6 से 8 दिन हीट वेव चलने लगी अब
इस साल वन विभाग फिर लगाएगा 3.41 लाख पौधे
पानी, बिजली की लाइन, तालाब, रोड के लिए जंगलों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इसके बदले में जो भूमि मिली है, उस पर हरियाली की चादर बिछाने के लिए इस साल 12 स्थानों की 638 हेक्टेयर जमीन पर 3 लाख 41 हजार 865 पौधे लगाए जाएंगे। इंदौर, महू, मानपुर और चोरल रेंज में यह पौधे लगाए जाएंगे। सबसे ज्यादा इंदौर रेंज की पठान पीपल्या बीट में 75 हेक्टेयर जमीन पर 37 हजार 500 पौधे लगेंगे। इसके बाद ग्वालू में 30 हजार पौधे 30 हेक्टेयर जमीन पर लगाए जाएंगे।
51 लाख पौधों के लिए भी प्रबंधन शुरू
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 51 लाख पौधे लगाने की घोषणा की है। इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है। वन विभाग धार, झाबुआ, खंडवा, आलीराजपुर और इंदौर की नर्सरी में पौधों का प्रबंधन कर रहा है। झाबुआ की नर्सरी में ही 14 लाख पौधे इस साल तैयार किए गए हैं। इसके अलावा उद्यानिकी विभाग की नर्सरी से भी पौधे लिए जाएंगे।
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