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8 से 10 बार सिंचाई और 90-100 दिन में पकने वाली खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन अब रबी के सीजन में भी बाेई जा रही है। तीसरी फसल के रूप में जिले में इस बार 8 से 10 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की पैदावार से किसानों काे अतिरिक्त मुनाफा हाेने जा रहा है। ज्यादातर
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दरअसल, पिछले 3-4 साल से अप्रैल-मई में भी बारिश हाे रही है। इसके अलावा जिले में सिंचाई के स्रोत बढ़ने के साथ अन्य संसाधनाें में भी इजाफा हुआ है। जिससे किसानाें का साेयाबीन की फसल की तरफ रुझान बढ़ा है। यह फसल ज्यादातर फरवरी अंत तक कटने वाली मसूर व अरहर के खेताें में बाेई जा रही है। जिससे साेयाबीन की फसल काे तीन महीने से ज्यादा समय मिल जाता है।
मध्य प्रदेश में साेयाबीन पीला सोना के रूप में जाना जाता है। इसकी अच्छी पैदावार और बाजार में ऊंचे दाम मिलने से आमताैर पर किसान बरसात में यह फसल लेते रहे हैं। जिससे फसल काे पर्याप्त पानी मिल सके। पूर्व के सालाें में मानसून लेट हाेने और कम बारिश के कारण साेयाबीन की पैदावार पर असर पड़ा था। इससे किसान हताश हाे गए। इसकी लागत ज्यादा और उपज कम रही।
किसानों को साेयाबीन घाटे का सौदा लगने लगा। किसान सोयाबीन की जगह उड़द, मूंग तथा मक्का उगाने लगे। अब स्थिति बदल रही है। किसान साल में दाे बार साेयाबीन की बाेवनी करने लगे हैं। एक बार गर्मी की शुरुआत में ताे दूसरी बार बरसात में। नरयावली, रहली, गढ़ाकाेटा, देवरी, गाैरझामर, केसली में साेयाबीन की फसल पककर तैयार है। मानसून के पहले फसल की थ्रेसिंग की तैयारी है। खेताें में फसल कटाई का काम चल रहा है।
10 एकड़ में बाेया साेयाबीन, 8 क्विंटल प्रति एकड़ उपज
देवरी के किसान सूरज पटेल व गाैरझामर के मानसिंह ने बताया कि पिछले तीन साल से गर्मी के सीजन में साेयाबीन की फसल ले रहे हैं। इसकी पैदावार अच्छी है। एक एकड़ में 8 क्विंटल तक साेयाबीन निकल रहा है। इस साल 10 एकड़ में साेयाबीन बाेया था। कटाई चल रही है। बेमाैसम बारिश से माैसम में नमी के अलावा अब किसानाें के पास पहले से ज्यादा जल स्रोत व संसाधान उपलब्ध हैं। जिससे सिंचाई में आसानी है।
बीज के रूप में बिक रहा गर्मी का साेयाबीन
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी का कहना है कि फरवरी अंत तक पकने वाली मसूर, अरहर व अन्य फसलाें काे लेने वाले किसान 90-100 दिन में पकने वाली सोयाबीन की किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। गर्मी का साेयाबीन बीज के रूप में बिक जाता है। बाजार में इसके 6-7 हजार रुपए क्विंटल के रेट मिल रहे हैं। जिले में अरहर 8-10 हजार और मसूर का रकबा 60-70 हजार हैक्टेयर है।
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