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भाजपा की जगह एनडीए सरकार बनने की प्रक्रिया के बीच यह भी चर्चा है कि इस बार केंद्र में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कम होगा। सियासी इतिहास के आंकड़े देखें तो केंद्र में गठबंधन सरकार के दौरान राजस्थान से 2 या 3 मंत्री होते हैं। इस बार भी ऐसा संभव है।
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मालूम हो कि 2014 में पूर्ण बहुमत वाली पहली मोदी सरकार में दो मंत्री बनाए, बाद तीन और मंत्री बनाए गए। 2019 में दूसरे कार्यकाल में यह संख्या लोकसभा स्पीकर ओम बिरला सहित 5 रही।
भाजपा संगठन के अनुसार केंद्र में मंत्री बनाने का इस बार 4:1 का फॉर्मूला होगा। यानी 4 सांसदों पर 1 मंत्री। इससे भी प्रदेश से तीन मंत्री संभव हैं। केंद्र में भाजपा के 58 से 60 मंत्री तक होने चाहिए। सांसदों की संख्या के आधार पर देखें तो नियमानुसार करीब 80 मंत्री केंद्र में बनाए जा सकते हैं। इसमें 60-70 सबसे बड़े दल रहते हैं।
1996 से 2009 तक गठबंधन सरकारों में 3-5 राजस्थान के मंत्री रहे
अटल बिहारी वाजपेयी
- 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार- राजस्थान से भाजपा के 12 प्रत्याशी जीतकर गए थे। एक जसवंत सिंह मंत्री बने।
- 1998 में वाजपेयी की दूसरी एनडीए सरकार- राजस्थान से भाजपा के 5 प्रत्याशी जीते। पहले वसुंधरा राजे, एक साल बाद जसवंत सिंह मंत्री बने।
- 1999 में वाजपेयी की तीसरी एनडीए सरकार- 16 प्रत्याशी जीते। वसुंधरा, जसवंत सिंह मंत्री बने। बाद में जसकौर मीणा को भी जगह दी गई।
मनमोहन सिंह
- 2004 में मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार- राजस्थान में कांग्रेस के 4 प्रत्याशी जीते। तीन शीशराम ओला, नटवर सिंह और नमोनारायण मीणा मंत्री बने।
- 2009 में मनमोहन सिंह की दूसरी यूपीए सरकार- राजस्थान से कांग्रेस के 20 प्रत्याशी जीतकर सांसद बने। सरकार गठन के समय दो यानी डॉ. सीपी जोशी और सचिन पायलट मंत्री बने। बाद में अलग-अलग समय 5 अन्य सांसदों को भी मंत्री बनाया गया था।
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