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संगीता बेनीवाल पार्टी पदाधिकारियों के साथ। फाइल फोटो
पाली लोकसभा सीट से एक बार फिर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इस बार कांग्रेसी संगीता बेनीवाल हार का सामना करना पड़ा। इसको लेकर कांग्रेस संगीता बेनीवाल ने कही न कही आमजन तक उनके कार्यकर्ताओं के नहीं पहुंचने और स्थानीय नेताओं का पूरा सहयोग नहीं मिलन
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संगीता बेनीवाल ने कहा कही न कहीं हम में चुक रही जो जनता तक नहीं पहुंच पाएं
पाली लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी संगीता बेनीवाल ने एक वीडियो जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा कि कम समय में लोगों ने उन्हें प्यार और सम्मान दिया जिसके बूते वे 5 लाख से ज्यादा वोट ला सकी। उन्होंने कहा कि निराश होने आमजन और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि निराश होने की जरूरत नहीं है। वे जनता के बीच रहेगी और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए लड़ेगी।
उन्होंने यह भी कहां कि कहीं न कहीं चुक उनमें, उनके नेताओं और संगठन में रही होगी। जिससे वे पाली लोकसभा क्षेत्र की जनता तक कांग्रेस की रीति-नीति को पूरी तरह पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सके। उन्होंने पाली में परिवर्तन के लिए कांग्रेस को वोट देने वाले लोगों और कार्यकर्ताओं का आभार जताया। जो चुनाव में उनके साथ खड़े रहे।
ओबीसी पूर्व जिलाध्यक्ष छापोला बोले-बेनीवाल कार्यकर्ताओं को जानती तक नहीं थी
कांग्रेस के पाली जिला कांग्रेस परिवार नाम से बने सोशल मीडिया ग्रुप को खंगाला तो उसमें कांग्रेस के ओबीसी के पूर्व जिलाध्यक्ष मोहनलाल छापोला का कमेंट लिखा नजर आया। जिसमें छापोला ने लिखा कि संगीता बेनीवाल के हारने के अनेक कारण रहे हैं। बेनीवाल का नेटवर्क बहुत कमजोर था। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को जानती भी नहीं थी और ना ही उनसे संपर्क करने की कोशिश की। चंद लोग ही उनके आस-पास घूमते रहे लेकिन जनता तक उनकी आवाज नहीं पूछ पाई। कांग्रेस की कल्याणकारी नीतियों को गांव-ढाणी तक नहीं पहुंचा पाई। बूथ लेवल पर कैंपियन बहुत कमजोर थी बूथ लेवल पर कहीं भी किसी डेडीकेटेड कार्यकर्ता को जिम्मेवारी नहीं दी गई। पाली जिले के लिए एक लोकल प्रत्याशी की जरूरत थी। बेनीवाल जोधपुर की रहने वाली है और पाली की जनता से अनजान रही। टिकट ऊपरी अप्रोच से प्राप्त कर ली लेकिन जनता के लिए सर्वमान्य नेता नहीं थी। कांग्रेस के परिवार के लिए एक अनजान प्रत्याशी थी। कांग्रेस के प्रचार-प्रसार और कुशल नेतृत्व की कमी थी।
सेवादल के पूर्व जिलाध्यक्ष बोले-
कांग्रेस के सेवा दल के पूर्व अध्यक्ष जबरसिंह राजपुरोहित ने ग्रुप में लिखा कि जिले की सभी 6 विधानसभा क्षेत्र के नेताओं की कड़ी मेहनत के बावजूद कांग्रेस करीब ढाई लाख के अंतर से हार गई। भोपालगढ़ को छोड़कर भाजपा को हर विधानसभा क्षेत्र से लीड मिलना यह प्रमाणित करता है कि सोशल मीडिया के इन जाबाजों की कद्र जनता में नही है। सिर्फ कागजी शेर बनकर बाहरी लोगों की गुलामी में जिले की कांग्रेस को डूबोया है और दोष कार्यकर्ताओं पर डाल दिया जाता है।
कांग्रेस के नेताओं का साधा निशाना
ग्रुप में राजेश कुमार ने लिखा कि जिला कांग्रेस के नेता और बड़े कार्यकर्ता द्वारा संगठन के लिए समय नहीं देना कहीं ने कहीं कांग्रेस के लिए हार का कारण बना। अपनी सिद्धि के लिए कांग्रेस उम्मीदवार के विरूद्ध चलना कही न कही बड़ी समस्या बनी हुई है। जब कांग्रेस के हिस्सा बने हुए हो तो अपने कर्तव्य की पालना करनी चाहिए। चुनाव में एक अकेला उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सकता उसके लिए पूरे संगठन और कार्यकर्ताओं को अपनी ताकत लगानी पड़ती है।
कांग्रेस हारी लेकिन वोट शेयर बढ़ा
इस बार राजस्थान में भाजपा को कई सीटों पर नुकसान हुआ। पाली लोकसभा सीट की बात करें तो कांग्रेस की संगीता बेनीवाल भले ही हार गई लेकिन पाली लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस का वोटिंग प्रतिशत 7.4 फीसदी बढ़कर 37.82 तक पहुंच गया। इस बार भाजपा का वोट शेयर 10.26 प्रतिशत घटकर 55.94 फीसदी रह गया। जबकि वर्ष 2019 में दोनों पार्टियों का वोट शेयर में 35.72 का अंतर था। जो इस बार घटकर 18.12 फीसदी रह गया। बता दे कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पीपी चौधरी को 9 लाख 149 वोट मिले थे जबकि इस बार 7 लाख 57 हजार 389 वोट ही मिले जो गत चुनाव से 1 लाख 42 हजार 760 वोट कम है।
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