[ad_1]
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में प्रबंधन की कड़ाई और संस्थान की अव्यवस्था से नाराज होकर सीनियर डॉक्टर अस्पताल छोड़कर जा रहे हैं। पिछले तीन माह में दो डॉक्टर संस्थान छोड़ चुके हैं, जबकि एक इस्तीफा देकर 3 माह की नोटिस पीरियड में हैं।
.
इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों में सीटीवीएस विभाग के हेड डॉ. विनीत महाजन, कार्डियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पीजी सरकार और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. विक्रांत रंजन शामिल हैं। तीनों डॉक्टरों ने व्यक्तिगत कारण बताकर इस्तीफा दिया है। डॉ. महाजन रिम्स छोड़ने के बाद अभी एम्स गुवाहाटी के सीटीवीएस विभाग के प्रमुख पद पर योगदान दे चुके हैं। डॉ. पीजी सरकार रांची में ही एक अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के हेड के रूप में इलाज कर रहे हैं।
वहीं, रिम्स में यह चर्चा जोरों पर है कि अस्पताल के चार विभाग के और छह वरीय चिकित्सक भी इस्तीफा देने की तैयारी में हैं। यूरोलॉजी विभाग के दो, कार्डियोलॉजी विभाग से भी दो डॉक्टरों के जल्द इस्तीफा देने की खबर है। इसके अलावा न्यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के नौकरी छोड़ने भी चर्चा तेज है।
डॉक्टर बोले- व्यवस्था सुधारने की जगह हम पर हो रही कार्रवाई
रिम्स के कई डॉक्टरों ने बताया कि इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों में से दो ने प्रबंधन के दबाव में आकर फैसला लिया है। प्रबंधन अस्पताल की व्यवस्था सुधारने की बजाय सिर्फ डॉक्टरों पर कड़ाई कर रहा है। अस्पताल में न तो दवाएं उपलब्ध हैं और न ही लाइफ सेविंग दवाएं बाहर से मंगवाने की छूट है। रिम्स प्रबंधन ढुलमुल रवैये के कारण चाह कर भी कई बार मरीज को बचा नहीं पाते हैं। यहां कलंक लेने से बेहतर है रिम्स छोड़कर स्वतंत्र होकर काम करें।
3 माह में निदेशक आधा दर्जन चिकित्सकों को कर चुके हैं शोकॉज: इधर, रिम्स निदेशक ने व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए चिकित्सकों व कर्मियों के बीच थोड़ी कड़ाई की है। पिछले तीन माह में करीब आधा दर्जन चिकित्सकों को विभिन्न कारणों से शोकॉज कर चुके हैं। कुछ डॉक्टरों को ड्यूटी से नदारद रहने पर, तो कुछ को बाहर से दवा मंगाने व जांच कराने के लिए शोकॉज किया गया है। जिन चिकित्सकों से स्पष्टीकरण मांगा गया है, उनमें एक न्यूरोलॉजी, एक कार्डियोलॉजी, एक मेडिसिन और दो क्रिटिकल केयर के चिकित्सक शामिल हैं।
डॉक्टरों की संख्या कम होती गई तो… एमबीबीएस और पीजी सीट पर पड़ेगा असररिम्स से अगर इसी तरह चिकित्सक संस्थान छोड़ते रहे तो इसका सीधा असर एमबीबीएस, पीजी और डीएम- एमसीएस की सीटों पर पड़ेगा। एनएमसी (नेशनल मेडिकल काउंसिल) द्वारा हर विभाग में उपलब्ध चिकित्सकों की संख्या के अनुसार सीटों पर नामांकन के लिए अनुमति दी जाती है।
पिछले दो साल में रिम्स से डेढ़ दर्जन से ज्यादा डॉक्टर रिटायर हो चुके हैं, कुछ चिकित्सक रिजाइन कर चुके हैं। जबकि नई नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन पर भी रोक है। प्रबंधन नियुक्ति पर ध्यान नहीं देता है तो इसका असर मेडिकल कॉलेज पर पड़ेगा।
[ad_2]
Source link