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एक मार्च से अब तक हीट स्ट्रोक के 24849 मामले सामने दर्ज हो चुके हैं। सबसे ज्यादा केस मई महीने में दर्ज किए गए, पूरे 19189 मामले। इन तीन महीनों में कुल 56 मौतें हीट स्ट्रोक से हुई हैं। कुल मौतों में सबसे ज्यादा मई महीने में 46 दर्ज हुई हैं। इन मौतों के आंकड़ों को देखें तो मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 14, महाराष्ट्र में 11, आंध्र प्रदेश में 6 और राजस्थान में 5 मौतें दर्ज हुई हैं।
कौन जुटा रहा है ये आंकड़े और कहां है रेड जोन
केंद्र सरकार हीट स्ट्रोक से जुड़े केस और उनकी मौत से जुड़े आंकड़े एकट्ठा कर रही है। यह देश में गर्मी से जुड़ी बीमारियों और मौतों के आंकड़ों को ट्रैक करने से जुड़ा एक हिस्सा है। इन आंकड़ों से पता चल रहा है कि देश में सबसे ज्यादा केस राजस्थान के बजाय मध्य प्रदेश में दर्ज हुए हैं। इनमें प्रभावित होने वालों और मरने वाले दोनों की संख्या यहां सबसे ज्यादा है।
उमस भरी गर्मी के बीच बीते लोकसभा चुनाव
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार उमस भरी गर्मी के दो दौर अप्रैल और मई माह में निकल चुके हैं। पहला दौर 5-7 अप्रैल, 15 और 30 अप्रैल को था। वहीं दूसरा दौर 1-7 मई और 16-26 मई के बीच था। 16-26 मई के बीच में हीट वेव की लहर दिल्ली, राजस्थान, दक्षिण हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में अपना कहर बरसा चुकी है। इस दौरान इन क्षेत्रों का तापमान 44-50 डिग्री सेल्सियस तक रहा था।
देश में जब इस तरह की भीषण गर्मी की लहर चल रही थी तभी देश के अलग अलग हिस्सों में लोकसभा चुनाव भी हो रहे थे।
बूढ़े, बच्चे और बीमार लू की चपेट में जल्द आ सकते हैं
वैज्ञानिकों का मानना है कि 35 डिग्री से अधिक वेट वल्व तापमान में स्वस्थ इंसान भी अधिक गर्मी के कारण तकरीबन 6 घंटे में मर सकता है। लेकिन मौत होने के लिए जरूरी नहीं कि हर बार ऐसी स्थितियों की जरूरत पड़े। क्योंकि जो लोग कमजोर दिल, किडनी और फेफड़े वाले, मोटापे से ग्रसित होते हैं या फिर बूढ़े और जवान बच्च हैं वो भी इस तरह के अधिक तापमान से बहुत जल्द प्रभावित हो सकते हैं। नेशनल सर्विलांस डाटा के अनुसार मई महीने में ह्दय संबंधी 605 मौते हो चुकी हैं।
हीट स्ट्रोक की चपेट में ऐसे आते हैं
हीट स्ट्रोक की चपेट में आप बाहर-भीतर दोनों तरह से आ सकते हैं। शरीर के अंदरूनी हिस्सों को तब प्रभावित करती है जब कोई शख्स लगातार कुछ दिनों तक हीट वेब के संपर्क में रहता है। जबकी बाहरी तरह से प्रभावित होने के लिए कोई व्यक्ति अगर लगातार कुछ घंटे गर्म और आद्र वातावरण में थका देने वाला शारीरिक श्रम करता है। दोनों ही स्थितियों में शरीर में तरल पर्दाथों की कमी हो जाती है और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
हीट स्ट्रोक एक मेडिकल एमर्जेंसी, कैसे करें बचाव
डॉक्टरों का मानना है कि यह एक आपात स्थिति होती है लेकिन अगर समय पर इलाज किया जाए तो मरीज को मरने से बचाया जा सकता है। हीट स्ट्रोक की चपेट में आने पर तुरंत डॉक्टर की निगरानी में अस्पताल पहुंचना चाहिए। उसे छाया में रखना चाहिए। शरीर को ठंड़क देने के प्रयास करने चाहिए जैसे उसके शरीर को गीली तौलिया से ढ़क देना चाहिए, ठंडे़ पानी से नहलाना चाहिए। दिन के समय 10 से 4 के बीच सीधी धूप के संपर्क में आने से बचना चाहिए। ज्यादा जरूरी होने पर बाहर जा रहें हों तो पानी, लस्सी, छाछ, नारियल पानी जैसे तरल का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी को दूर किया जा सके।
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