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बात शाही खानपान की हो तो राजस्थान से बेहतर जायका और कहां मिल सकता है। राजघरानों के शाही खजाने में एक से बढ़कर एक जायके हुआ करते थे, जो दावतों में मेहमानों को परोसे जाते थे। ऐसी ही एक शाही डिश है गुलकंद खीर, जो भीषण गर्मी में भी एकदम तरोताजा रखती है।
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इस खीर की सीक्रेट रेसिपी जानने हम होटल जयमहल पैलेस पहुंचे जो कभी पूर्व जयपुर राजपरिवार का शाही महल हुआ करता था। यहां की गुलकंद खीर जिसने एक बार टेस्ट की फिर वो उसका स्वाद कभी नहीं भूल सका है।
जयमहल पैलेस की गिनती जयपुर के लग्जरी हेरिटेज होटल्स में होती है।
1992 में मेन्यू में शामिल हुई गुलकंद खीर
राजमाता गायत्री देवी के पोते देवराज सिंह के होटल जयमहल पैलेस की शुरुआत सन् 1986 में हुई थी। होटल के शेफ पंकज भारद्वाज ने बताया कि यहां हमेशा पूर्व राजपरिवारों की रॉयल रेसिपीज को राजस्थानी कुजिन और मेन्यू में शामिल किया जाता रहा है।
राजस्थान के ऐतिहासिक महत्व और गर्मी को ध्यान में रखते हुए शाही गुलकंद खीर को सिनेमन रेस्तरां के लिए फूड मेन्यू में 1992 में शामिल किया गया था। आज 32 साल से यह जायका लोगों की पसंद बना हुआ है।
गायत्री देवी की रॉयल दावत की एक पुरानी तस्वीर। मेहमानों को हमेशा शाही रसोई के खजाने से कुछ न कुछ नया परोसा जाता था।
गुलकंद की तासीर ठंडी होती है, जो गर्मी में शीतलता प्रदान करती है। गुलकंद रॉयल कुजिन का हिस्सा रहा है और सदियों से खीर हमारा पारंपरिक डेजर्ट है।
जब खीर को गुलकंद के कॉम्बिनेशन के साथ तैयार किया जाता है तो ये स्वाद के साथ ठंडक भी देती है। गुलकंद से खीर के साथ बहुत सारे सेहत संबंधी फायदे भी मिल जाते हैं।
ये है शाही गुलकंद खीर, जो कभी राजपरिवारों की दावतों की शान हुआ करती थी।
गुलाब की पत्तियों से सजी ये गुलकंद खीर की यूं तो रेसिपी बहुत ही सरल है, लेकिन बनाते समय कुछ खास स्टेप्स और टिप्स को ध्यान में रखा जाता है। शेफ पंकज भारद्वाज, शेफ प्रदीप, शेफ दीप और शेफ रमेश ने मिलकर भास्कर ऐप के पाठकों के लिए इस खीर को तैयार किया। आइए आपको भी बताते हैं…
एक किलो खीर में एक ग्राम केसर : शेफ पंकज ने बताया – वैसे तो खीर हर घर में बनाई जाती है, लेकिन गुलकंद की शाही खीर बनाने के लिए सामग्री को सही अनुपात में रखना बहुत जरूरी है। आमतौर पर केसर की मात्रा लोग गड़बड़ कर देते हैं। एक किलो खीर में एक ग्राम ही केसर पड़ना चाहिए, नहीं तो स्वाद बिगड़ सकता है।
केसर, गुलकंद और गुलाब की ताजा पत्तियां जायके को रिच लुक देने के साथ-साथ स्वाद को दोगुना कर देती हैं।
आगे बढ़ने से पहले देते चलिए आसान से सवाल का जवाब..
केसर इस्तेमाल करने के कुछ टिप्स
शाही गुलकंद खीर में इस्तेमाल होने वाले केसर को करीब 15 से 20 मिनट पहले ही पानी में भिगोया जाता है। शेफ के अनुसार ज्यादातर लोग दूध में केसर को भिगोकर इस्तेमाल करते हैं।
शाही खीर के लिए हम केसर के रेशों को गर्म पानी में भिगो कर इस्तेमाल करते हैं जिससे केसर का असली रंग निखर कर आए और वो गर्म पानी में जल्दी और बेहतर तरीके से घुल जाए।
खीर के चावल पहले घी में भुने जाने जाते हैं: शेफ ने बताया कि घर घर में बनने वाली ये स्वीट डिश ज्यादातर लोग दूध और चावल साथ मिला कर बनाते हैं।
लेकिन शाही गुलकंद खीर डिफरेंट तरीके से बनती है। चावल को पहले देसी घी में हल्का भुना जाता है, इससे चावल में घी का सौंधापन आ जाता है।
तैयार गुलकंद खीर को गोल्डन बाउल में सर्व किया जाता है।
खुद की बागवानी से तैयार करते हैं गुलकंद : शाही गुलकंद खीर की सबसे महत्वपूर्ण सामग्री गुलकंद है। ये गुलकंद बाजार से नहीं खरीदी जाती। होटल परिसर में खास किस्म के गुलाब की बागवानी की जाती है, उससे जो फूल प्राप्त होते हैं, उसकी पत्तियों से शेफ खुद गुलकंद तैयार करते हैं।
इसके लिए गुलाब की पत्तियों के साथ इलायची और थोड़ी शुगर का इस्तेमाल करते हैं। खीर को सर्व करने से पहले सजावट के लिए गुलाब की ताजा पत्तियों को धोकर इस्तेमाल किया जाता है।
ये है जय महल पैलेस के सिनेमन रेस्टोरेंट की स्टार टीम। शेफ दीप, पंकज भारद्वाज (ब्लैक ड्रेस में), प्रदीप और रमेश।
गुलकंद की शाही खीर बनाने के स्टेप्स
शेफ पंकज भारद्वाज ने बताया कि इसे बनाने में एक घंटा लगता है। 200 ग्राम बासमती चावल लेकर उसे करीब एक घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखते हैं।
इस दौरान दूसरी तैयारी कर लेते हैं। हरी इलायची का पाउडर, रोस्टेड नट्स (काजू, बादाम, पिस्ता बराबर मात्रा में शामिल हों) को छोटे पीस में कट करके रखते हैं।
फ्राई पैन या कढ़ाई में दो से तीन चम्मच घी को गर्म करते हैं, इलायची पाउडर और भिगोकर रखे गए चावल पानी हटाकर डालते हैं। इसे तीन से चार मिनट धीमी आंच पर पकाते हैं। अब उसमें दूध एड करते हैं।
गुलकंद खीर को बनाने में करीब 1 घंटे का समय लगता है।
अब 100 ग्राम के करीब गुलकंद मिलाते हैं और दूध के साथ चावल को करीब 45 मिनट तक धीमी आंच में पकाते हैं। पानी में भीगे केसर के रेशे एड करते हैं। तैयार है शाही गुलकंद खीर जिसे 5 डिग्री तापमान पर ठंडा करने के लिए फ्रिज में रखा जाता है।
गुलाब की पत्तियों और रोस्टेड नट्स के साथ गार्निश कर गोल्ड पोलिश बाउल में सजा कर फूड लवर्स को सर्व किया जाता है।
शेफ पंकज अग्रवाल ने बताया कि अगर किसी को डायबिटीज है वह भी शाही गुलकंद खीर का मजा बगैर शक्कर के ले सकते हैं। थोड़ी मात्रा में गुलकंद की मिठास ही काफी होती है।
क्या है गुलकंद के फायदे? शेफ पंकज कहते हैं कि राजस्थान में गर्मी काफी पड़ती है, गर्मी के दिनों में खाना डाइजेस्ट आसानी से नहीं होता है। जब को मीठे का स्वाद ले रहा हो तो इस बात की फिक्र उन्हें सबसे ज्यादा होती है। लेकिन गुलकंद को काफी गुणकारी माना जाता है।
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. सतवीर गोदारा बताते हैं गुलकंद खाने में जितना स्वादिष्ट हैं इसके फ़ायदे भी उतने ही अधिक हैं। आयुर्वेद के अनुसार गर्मी के मौसम में बाहरी तापमान बढ़ने से पाचन गड़बड़ा जाता है, इस दशा में गुलकंद रामबाण होता है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है। ये हीटवेव से भी बचाव करता है और कब्ज, मुंह के छाले व रक्त विकारों में भी उपयोगी होता है।
पिछले राजस्थानी जायका में पूछे गए प्रश्न का सही उत्तर
ये हैं कोटा के सदाबहार आम। मैंगो सीजन में इसकी काफी डिमांड रहती है। यह ऐसी खास किस्म है जो सर्दी में भी फल देती है। यहां के एक किसान ने करीब 10 साल की मेहनत से यह किस्म तैयार कर की है। इस किस्म के पेड़ से साल में तीन बार फल आते हैं, जिससे सालभर इनकम होती है। ऐसे में इस किस्म का नाम ‘सदाबहार आम’ रख दिया गया था….(इस किस्म के बारे में पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए CLICK करें)
आम के कई जायके राजस्थान में बड़े मशहूर हैं। ऐसा ही एक जायका है अजमेर का मैंगो कलाकंद, जिसे सबसे महंगे और स्वादिष्ट अल्फांसो से तैयार किया जाता है। मैंगो कलाकंद को बनाने का श्रेय हलवाई पन्नासिंह को जाता है। करीब 57 साल पहले 1965 में पन्ना सिंह ने ही छोटी सी दुकान से इसकी शुरुआत की थी। आज उनकी तीसरी पीढ़ी भी इसी कारोबार से जुड़ी है…(पूरी कहानी पढ़ने के लिए CLICK करें)
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