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तीन नए आपराधिक कानूनों-भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के क्रियान्वयन के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। जिला एवं सेशन न्यायाधीश मदनलाल भाटी की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलित करते हुए शिविर क
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नए संशोधित प्रावधान में माॅब लिंचिंग को घृणित अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। सीआरपीसी में पहले 484 धाराएं थीं। भारतीय नागरिक सुरक्षा (दूसरी) संहिता, 2023 (बीएनएसएस) कानून बनने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की जगह लेगा और नए कानून में 531 धाराएं होंगी। इस कानून की 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं। 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं। 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं। 14 धाराएं हटा दी गई हैं। न्यायिक अधिकारी सतीश दंत कौशिक ने कहा कि 3 नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन के लिए अपनी क्षमता निर्माण और तैयारी में तेजी लाने की जरूरत है। नागौर जिले के न्यायिक अधिकारी और नागौर जिले के बार से जुड़े अधिवक्ताओं के प्रशिक्षण को प्राथमिकता देते हुए, विभाग का लक्ष्य इन नए नियमों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है। न्यायिक मजिस्ट्रेट डीडवाना पंकज तिवारी ने गतिविधियों के कानूनी और तकनीकी, दोनों पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रशिक्षण शिविर में 1860 से 2023 तक अंग्रेज़ों के बने हुए क़ानून के आधार पर इस देश की आपराधिक न्याय प्रणाली चलती रही। इसकी जगह भारतीय आत्मा के साथ ये तीन क़ानून स्थापित होंगे और हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली के अंदर बहुत बड़ा परिवर्तन होने वाला है। सतीश दंत कौशिक, पोक्सो खंड मेडंता रतन लाल मूंड, पोक्सो जज दीपा गुर्जर सहित न्यायिक कर्मचारी और अधिवक्ता मौजूद थे।
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