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जुबानी जंग तेज
– फोटो : अमर उजाला
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केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के बीच जुबानी जंग का असर चुनाव पर पड़ने के आसार हैं। अनुप्रिया प्रतापगढ़ सीट पर राजा भैया पर हमला कर चुकी हैं। अब चर्चा है कि राजा भैया उनके खिलाफ मिर्जापुर में चुनाव प्रचार करने जाएंगे। ऐसे में नजदीकी मुकाबले वाली इन सीटों पर सियासी सरगर्मी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।
मिर्जापुर में राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया है। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी को पत्रक देकर अपना समर्थन जताया। दरअसल, इस मामले की शुरुआत उस समय हुई जब जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष राजा भैया ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद भी अपने समर्थकों को अपनी पसंद के अनुसार प्रत्याशी चुनने की बात कही।
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इसके बाद उनके समर्थक प्रतापगढ़ में सपा प्रत्याशी की सभाओं में भी नजर आए। राजा भैया कौशांबी और प्रतापगढ़ लोकसभा सीट के साथ-साथ आसपास की कुछ अन्य सीटों पर भी प्रभाव रखते हैं। प्रतापगढ़ की दो विधानसभा सीटें कुंडा और बाबागंज कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। राजा भैया खुद कुंडा से विधायक हैं और उनकी और पार्टी के विनोद सरोज बाबागंज सुरक्षित सीट से विधायक हैं।
यही वजह है कि कौशांबी की जीत काफी कुछ यहां पर निर्भर करती है। चर्चा है कि कौशांबी सीट पर हुए मतदान में राजा भैया के समर्थकों ने सपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। अब राजा भैया के इस तरह से किनारा करने का असर प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर भी पड़ रहा है। प्रतापगढ़ सीट पर काफी संख्या में (13 फीसदी) पटेल बिरादरी के लोग हैं, जिनको साधने के लिए भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल भी लगातार प्रचार कर रही हैं।
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन से अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह यहां से चुनाव जीते थे। राजा भैया के बदले रुख से नाराज अनुप्रिया पटेल ने हाल ही में कुंडा में हुई एक सभा में यह कहकर प्रतापगढ़ का सियासी तापमान बढ़ा दिया था कि ”लोकतंत्र में राजा, रानी के पेट से नहीं, ईवीएम से पैदा होते हैं। भ्रम तोड़ दें कि कुंडा किसी की जागीर है”। बिना नाम लिए अनुप्रिया का निशाना राजा भैया पर था।
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. सुशील पांडेय कहते हैं कि प्रदेश में जातिगत राजनीति और इसके मतदाता काफी असरकारक होते हैं। इस बार भी मतदाता काफी शांत हैं। दावे चाहे जो हों ठाकुर मतदाता धर्मनिष्ठ है और वह भाजपा के साथ जाएगा। प्रतापगढ़ और कौशांबी में पार्टी नहीं बल्कि प्रत्याशियों को लेकर राजा भैया की नाराजगी है। वे इन सीटों पर अपना प्रभाव रखना चाहते हैं। भाजपा ने भी जाति को ध्यान में रखकर टिकट दिया है। कुर्मी मतदाता काफी संगठित होता है। ऐसे में यह खींचतान शायद इसी का असर है। हालांकि, यहां भी काफी ओबीसी व दलित मतदाता भाजपा के साथ हैं।
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