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गर्मी में यात्रियों की सुविधा के लिए शुरू की गईं 5 समर स्पेशल ट्रेनें ही अब उनकी परेशानी का सबब बन गई हैं। दरअसल, ये स्पेशल ट्रेनें 5 से लेकर 15 घंटे तक की देरी से चल रही हैं। लेकिन, इसका प्रभाव उन नियमित ट्रेनों पर भी पड़ रहा है जिनके डिब्बों (रैक)
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उदयपुर से शालीमार एक्सप्रेस(सप्ताह में एक बार) आैर योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस ट्रेन(सप्ताह में तीन बार) के डिब्बे समर स्पेशल ट्रेनों में लगाए गए हैं। इसके कारण यह दोनों ट्रेनें अपने निर्धारित समय से 14 घंटे तक देर से पहंुच रही हैं। इसकी वजह से न सिर्फ यात्री परेशान हो रहे हैं, बल्कि रेलवे को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सबसे पहले उदयपुर-शालीमार एक्सप्रेस के डिब्बे(रैक) से चलने वाली पटना स्पेशल ट्रेन की बात करेंगे।
यह ट्रेन 14 मई(मंगलवार) को उदयपुर से समय पर रवाना हुई, लेकिन पटना में 8 घंटे की देरी से बुधवार की देर रात 2 बजे के बजाय गुरुवार की सुबह 10 बजे पहुंची। चूंकि यह ट्रेन पटना देर से पहुंची तो वापसी में भी देर से रवाना हुई। गुरुवार (16 मई) को पटना से अल सुबह 6 बजे की बजाय सुबह 11:17 बजे रवाना हुई। उदयपुर में यह ट्रेन शुक्रवार को दोपहर 12:20 बजे की बजाय 13 घंटे देर से रात 1:15 बजे पहंुची।
चूंकि इसी बीच शालीमार ट्रेन को रात 1:05 बजे रवाना होनी थी, लेकिन लिंक रैक के नहीं पहंुचने से शालीमार ट्रेन भी रवाना नहीं हो सकी। पटना स्पेशल के डिब्बे की मेंटेनेंस के बाद शालीमार एक्सप्रेस लगभग 7 घंटे देर से अगले दिन सुबह 8:12 बजे रवाना हो सकी। ट्रेन 14 घंटे देरी से शालीमार पहुंची। इसी तरह उदयपुर कटिहार स्पेशल ट्रेन को योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस के रैक से चलाया जा रहा है।
यह 25 जून तक हर मंगलवार को उदयपुर से शाम 4:05 बजे शिड्यूल है। वापसी में कटिहार से चलकर शनिवार को सुबह 4:15 बजे उदयपुर पहुंचना है। लेकिन यह औसत 5-6 घंटे की देरी से चल रही है। जब यह लेट आती है तो हर शनिवार को दोपहर 1:45 बजे चलने वाली योगनगरी ऋषिकेश भी प्रभावित होती है।
यह उदयपुर से करीब 3 घंटे देरी से रवाना हो रही है और वापसी में भी देरी से आती है। योगनगरी ऋषिकेश ट्रेन सप्ताह में तीन दिन है। कटिहार स्पेशल ट्रेन की वजह से शनिवार को जाने ट्रेन प्रभावित हो रही है।
उदयपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते यात्री।
लेट क्यों… ट्रेनें बढ़ा दीं, इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं सुधरा
रेलवे द्वारा पूरे भारत में करीब 1 हजार समर स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। ये देश के अलग-अलग राज्यों में पहुंच रही हैं। लेकिन, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ट्रेन के कोच, स्टाफ, प्लेटफॉर्म आदि की संख्या वही है। ऐसे में उन्हीं संसाधनों में इन्हें चलाना मुश्किल हो रहा है। एक साथ इतनी संख्या में ट्रेन चलाने के लिए रेलवे के सिस्टम को अभी अपडेट करने की जरूरत है। इसके अलावा पूरे भारत में ही रेलवे ट्रैकों पर बड़ी संख्या में काम चल रहा है। इस कारण कई रूटों पर अलग-अलग समय ब्लॉक लिया जाता है। ऐसे में ट्रेनों को बीच-बीच में रोककर रूट बदलकर चलाना पड़ रहा है। इसकी वजह से भी ट्रेनें लेट हो रही हैं।
3 अन्य स्पेशल ट्रेनें भी लेट, 5 से 8 घंटे तक देर से पहंुच रहीं
उदयपुर-जम्मूतवी स्पेशल ट्रेन (26 अप्रैल से 28 जून तक प्रत्येक शुक्रवार) औसत 5 घंटे देरी से जम्मूतवी पहुंच रही है।
ऐसे ही जम्मूतवी से शुक्रवार को उदयपुर पहुंचने वाली ट्रेन भी सुबह 7:30 बजे के बजाय दोपहर 12:40 बजे आई। सिकंदराबाद स्पेशल ट्रेन उदयपुर से निर्धारित समय पर रवाना होकर सिकंदराबाद 3 घंटे देरी से और वापसी में 4-5 घंटे लेट लेट आई। उदयपुर-कोलकाता स्पेशल ट्रेन 20 मई को कोलकाता 5 घंटे देरी से पहुंची। उससे पहले 8 घंटे लेट हुई थी।
रेलवे पर प्रभाव: रैक का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा, राजस्व का भी नुकसान
एक ट्रेन को आने के बाद कम से कम 6-7 घंटे मेंटनेंस के लिए चाहिए होते हैं। लेकिन एक्सट्रा ट्रेनें होने से ट्रेनों को 3-4 घंटे में ही जैसे-तैसे मेंटेन करके रवाना कर दिया जा रहा है। ट्रेनें लेट होने से रेलवे को रेवन्यू में बड़ा नुकसान होता है। क्योंकि ट्रेन के तीन घंटे से ज्यादा लेट होने पर यात्रियों के टिकट का पूरा पैसा रिफंड करने का प्रावधान है। चूंकि कई ट्रेनें पांच घंटे से 15 घंटे तक लेट हैं तो कम दूरी के यात्री अपना टिकट कैंसिल कराकर बस या दूसरे साधनों से निकल जाते हैं।
यात्रियों पर प्रभाव: रिटायरिंग रूम नहीं मिल रहे, ट्रेन में खाने-पीने की दिक्कत
जब ट्रेनें निर्धारित समय पर नहीं पहुंच रही हैं तो अंतिम समय पर उनका प्लेटफॉर्म बदल दिया जाता है। यात्री घंटों तक स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। हालात ये हैं कि जिन यात्रियों ने स्टेशन पर दो से तीन घंटे के लिए रिटायरिंग रूम बुक कराए होते हैं उन्हें रिटायरिंग रूम ही नहीं मिलते हैं। ऐसे ही होटलों में हो रहा है। कुछ यात्रियों की कनेक्टिंग ट्रेन भी छूट जाती है। वहीं ट्रेन में घंटों से फंसे यात्रियों को खाने-पीने की भी दिक्कत हो जाती है।
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