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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने के लिए जमानत की विशेष गुहार सुप्रीम कोर्ट में लगाई है। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने अदालत में हेमंत सोरेन की याचिका का विरोध करते हुए कई बड़े दावे किए हैं। ईडी ने सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन राज्य की मशीनरी का गलत इस्तेमाल कर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केस की जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
ED ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एक राजनेता किसी सामान्य नागरिक से ऊपर उठकर विशेष स्टेटस की मांग नहीं कर सकता है। अगर हेमंत सोरेन को अंतरिम जमानत दी जाती है तब सभी जेल में बंद राजनेता इसी तरह से जमानत के लिए दावा करेंगे। अदालत में जस्टिस दीपांकर दत्ता की अवकाश प्राप्त बेंच सोरेन की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगी।
स्पेशल ट्रीटमेंट देना सही नहीं – ED
ईडी ने अदालत से कहा कि देश में पूरे साल कही ना कही चुनाव होते ही रहते हैं। जांच एजेंसी ने आगे कहा कि अगर सोरेन को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता है तो फिर किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और उसे न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकेगा।
सोरेन की याचिका के खिलाफ काउंटर हलफनामे में ईडी ने कहा है कि याचिकाकर्ता (हेमंत सोरेन) की तरफ से स्टेट मशीनरी का इस्तेमाल कर जांच को भटकाने की सक्रिय कोशिश की जा रही है। आगे जांच एजेंसी ने कहा है कि जो मटेरियल रिकॉर्ड में मौजूद हैं उससे यह पता चल रहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता इस प्रॉपर्टी को कब्जाने में शामिल रहे हैं, जो अपराध से अवैध कमाई है।
हेमंत अपराध में शामिल रहे – ED
ईडी ने 285 पन्नों के हलफनामे में कहा है कि देश में कई राजनेता न्यायिक हिरासत में हैं। ऐसी कोई वजह नहीं है कि किसी याचिकाकर्ता को विशेष ट्रीटमेंट दिया जाए। जांच एजेंसी ने कोर्ट में कहा कि हेमंत सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है और आपराधिक गतिविधि में शामिल रहे हैं। इसलिए उन्हें अंतरिम जमानत दिए जाने की कोई वजह नहीं है।
एजेंसी ने कहा कि PMLA के सेक्शन 50 के तहत दर्ज कई बयानों से साबित हुआ है कि रांची के बरियातू में लालू खटाल के नजदीक स्थित शांति नगर में 8.86 एकड़ की प्रॉपर्टी पर अवैध तरीके से कब्जा हेमंत सोरेन द्वारा किया गया। ईडी ने कहा है कि चुनाव प्रचार का अधिकार ना तो मौलिक अधिकार है और ना ही संवैधानिक अधिकार।
जांच एजेंसी ने कहा कि राज्य सरकार की मशीनरी का दुरूपयोग कर जांच को प्रभावित करने और अपने पिट्ठुओं के जरिये अपराध की आय को वैध साबित करने की सोरेन की ओर से कोशिश की जा रही है। बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री पद से सोरेन के इस्तीफा देने के बाद, कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था।
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