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इंदौर के तुकोगंज में 2019 में हुए बुजुर्ग के सुसाइड केस में पांच साल बाद अपर सेशन कोर्ट ने बुजुर्ग की बहू, उनकी समधन, बहू के भाई और दो दोस्तों को बरी कर दिया है। बुजुर्ग ने सुसाइड नोट में सभी पर रेप केस में फंसाने की धमकी देने और मारपीट करने के आरोप
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बुजुर्ग के दो बेटों ने भी अपने बयान में घर की बहू, उसकी मां और भाई के साथ दोस्तों द्वारा रेप केस में फंसाने के साथ मारपीट की बात कही थी। लेकिन कोर्ट ने गवाहों और वकीलों के तर्कों के आधार पर सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
पहले जान लीजिए क्या है पूरा मामला…
31 दिसबर 2019 को केदार सिंह पुत्र जगन्नाथ रघुवंशी निवासी रघुवंशी कॉलोनी ने सुसाइड कर लिया था। इस मामले में पुलिस को तीन पन्नों का सुसाइड नोट मिला। जिसमें शहनाज बी पति मोहम्मद शोएब निवासी सिलावटपुरा, अनिता पति विनोद बरखेड़े जो कि केदारसिंह की समधन है, आकाश उर्फ कालू समधन का बेटा, केदार की बहू अनमोल उर्फ गुडिया रघुवंशी और बहू के दोस्त आसिफ पुत्र बाबू शेख का नाम लिखा था। बेटे प्रदीप ने अपने बयान में बताया था कि उसकी पत्नी अनमोल पिता केदार सिंह को रेप केस में फंसाने की धमकी दे रही थी। इतना ही नही आरोपियों ने सुसाइड के पहले उनके साथ मारपीट भी की। इस घटना से क्षुब्ध होकर वह घर से निकले और नेहरू पार्क में जाकर जहर खा लिया।
इस मामले में तुकोगंज पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर 5 नवंबर 2019 को सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से बारी-बारी जमानत मिली। पुलिस ने घटना के साक्षी केदार के बेटे प्रदीप, संदीप और भतीजे अभिषेक को गवाह बनाया। पुलिस,डॉक्टर और परिजनों सहित 15 अन्य लोग भी गवाह बने।
अब जान लीजिए मृतक के बेटों और परिजनों ने अपने बयान में क्या कहा…
गवाह नंबर 1 प्रदीप रघुवंशी (बेटा) : प्रदीप ने अपने बयान में पिता के साथ मारपीट होने की बात कही। वही पत्नी अनमोल उसकी मां, बहन और दोस्तों द्वारा प्रताड़ित करने और झूठे रेप केस में फंसाने की बात कही। प्रदीप के बयान में सामने आया कि पत्नी अनमोल ने पिता केदार को धमकाते हुए कहा था कि वह उन्हें अपना ससुर नहीं मानती। बेटे प्रदीप को पति नही मानती,आसिफ को अपना पति मानती है और उसके साथ रहेगी। पिता केदार ने समझाया तो कॉलर पकड़कर मारपीट की। इसके बाद पिता डर गए और घर से बाहर चले गए। प्रदीप ने पिता को कॉल कर कहा था कि सभी उनके खिलाफ रिपोर्ट लिखाने जा रहे हैं। तब पिता ने कहा था कि जाने दो, मैं जहर खाने जा रहा हूं। इसके बाद उन्होंने फोन काट दिया।
गवाह नंबर 2-3 संदीप (बेटा), अभिषेक (भतीजा) : संदीप और अभिषेक ने भी अपने बयानों में प्रदीप की बातों को ही दोहराया था। उन्होंने बताया कि 24 अक्टूबर को भी आरोपियों ने केदार से मारपीट की थी।
गवाह नंबर 3 पुलिस : 31 अक्टूबर को जहर खाने के पांच दिन बाद 5 नवंबर को सुसाइड नोट की जब्ती बनाई गई। हेड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच में नोट पर केदार सिंह की राइटिंग ही सामने आई।
गवाह नंबर 4 परिजन : केदार के साले बताया कि सुसाइड के पहले भाई दूज पर वह खाना खाने घर गए, तो यहां उन्हें पता चला था कि बहू और बेटे केदार से झगड़ा करते हैं। बहू के परिजन भी झगड़ा करते हैं। झगड़ा किस बात का होता था इसकी जानकारी नहीं थी।
गवाह नंबर 5 राजेन्द्र सिंह (परिचित) : केदार की कॉलोनी में रहने वाले राजेन्द्र सिंह को भी वकीलों ने बुलाया। उन्होंने कोर्ट के समक्ष बताया कि केदार उन्हें घर में झगड़े की बात बताते थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि बहू से नहीं बनती। वह मकान अपने नाम कराने की बात करती रहती है। मकान को लेकर भाई प्रदीप और संदीप में भी विवाद होता था। केदार इस बात से व्यथित रहते थे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं मिले मारपीट और चोट के निशान
एमवाय हॉस्पिटल के डॉक्टर ए के लांजेवार ने पोस्टमॉर्टम किया। जिसमें शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं मिला। ना ही 8 से 10 दिन पुरानी कोई चोट का जिक्र किया गया। जिसमें यह बात स्पष्ट हुई कि घटना वाले दिन और पहले केदार सिंह के साथ किसी तरह की मारपीट नहीं हुई।
पुलिस जांच में सामने आया ब्याज के रुपए को लेकर विवाद का पाइंट
पुलिस की जांच में सामने आया कि केदार ने आरिफ और देवेंद्र चौहान से ब्याज पर रुपए लिए थे। बाणगंगा थाने के पुलिसकर्मी त्रिलोक गुर्जर और योगेश यादव ब्याज के रुपए वसूलने आरिफ और देवेंद्र के साथ आते थे। इसके कारण वह तनाव में रहते थे। उनके सुसाइड के पीछे का कारण भी यही है। पुलिसकर्मी त्रिलोक गुर्जर और योगेश यादव 30 अक्टूबर को भी केदार को धमकाने पहुंचे थे। उन्होंने 10 नवंबर तक देवेंद्र यादव के रुपए देने की धमकी दी थी।
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