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नई दिल्ली36 मिनट पहले
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जिन 6 कफ सिरप में जानलेवा केमिकल मिले हैं, उनमें कोफवोन एलएस, ग्वाइफेनेसिन सिरप-100, ग्वाइफेनेसिन, सिलप्रो प्लस और कोल्ड आउट के दो बैच शामिल हैं।
देश में कई ऐसी दवाएं बिक रही हैं, जो जान तक ले सकती हैं। सात महीनों में 10 दवाओं की जांच में जानलेवा केमिकल डाई-एथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) मिला है। ज्यादा चिंताजनक ये है कि इन 10 दवाओं में 6 बच्चों के कफ सिरप हैं।
ये 6 कफ सिरप हैं- कोफवोन एलएस, ग्वाइफेनेसिन सिरप-100, ग्वाइफेनेसिन, सिलप्रो प्लस और कोल्ड आउट के दो बैच। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने अगस्त 2023 से फरवरी 2024 के बीच की गई जांचों में ये नतीजे निकाले हैं।
ये वही घातक केमिकल हैं, जिससे 1-2 साल में गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून सहित कई देशों में 140 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। इस केस में भारतीय फार्मा कंपनी के बनाए कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
जून 2023 से सीडीएससीओ ने निर्यात होने वाले सभी कफ सिरप की लैब टेस्टिंग अनिवार्य कर दी थी। जून से अक्टूबर 2023 तक 5 महीनों में 54 फार्मा कंपनियों के सैंपल फेल हो गए। भास्कर ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया राजीव रघुवंशी से वजह पूछी तो जवाब नहीं दिया।
वो सब कुछ, जो आपके लिए जानना जरूरी है…
- किस दवा में खतरनाक केमिकल की कितनी मात्रा मिली? और कितनी होनी चाहिए थी? कफ सिरप ट्रिमैक्स एक्सपेक्टोरेंट में 0.118% ईजी था। कोल्ड आउट में 1.9% ईजी और 0.14% डीईजी था। दिल के रोग में काम आने वाले डिजिवर इंजेक्शन में ईजी व डीईजी दोनों की मात्रा अधिक मिली। एलर्जी दवा सिलप्रो प्लस सिरप में 0.171% ईजी और 0.243% डीईजी पाया गया। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस के मुताबिक, ईजी या डीईजी की मात्रा 0.10% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- इसका साइड इफेक्ट कितने दिन में दिखता है? और किन लक्षणों से इसे पहचाना जा सकता है? दवा लेने के 3-4 दिनों में असर दिखने लगता है। बच्चों में डायरिया जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं, इसलिए पहचानना मुश्किल होता है।
- देश में ऐसे कोई मामले सामने आए हैं क्या? ताजा मामला फरवरी 2024 का है। हिमाचल के सिरमौर जिले की फार्मा कंपनी सिकक्योर के एंटी कोल्ड सिरप कॉफवोन एलएस में जहरीले केमिकल ईजी की ज्यादा मात्रा मिली थी। दिसंबर 2023 में हिमाचल के ही सोलन जिले की वीवीपीबी फार्मा कंपनी के सिरप जेलकोरिल एलएस सिरप में डीईजी ज्यादा मिला था। इससे पहले जनवरी 2020 में हिमाचल की फार्मा कंपनी डिजिटल विजन फार्मा के कफ सिरप कोल्ड बेस्ट से रामनगर जम्मू के 12 बच्चों की मौत हुई थी। रीजनल ड्रग टेस्टिंग लैब चंडीगढ़ ने अपनी जांच में पाया कि कोल्ड बेस्ट सिरप में डीईजी की मात्रा 35.87% थी।
जब हर स्तर पर ही जांच हो रही तो दवा बाजार में कैसे पहुंची?
सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजुरिया कहते हैं, रॉ-मैटेरियल और फाइनल प्रोडक्ट दोनों की जांच होती है। इसके बिना सिरप बाजार में नहीं उतारे जा सकते। ना सिर्फ कंपनी, ड्रग अथॉरिटी की भी लापरवाही। दवा में खामी पर रिकॉल की प्रक्रिया लंबी है, तब तक कई लोग वह दवा खा चुके होते हैं।
भारतीय फार्मा कंपनियों पर क्या एक्शन हुआ?
अक्टूबर 22 से अगस्त 23 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डीईजी और ईजी की ज्यादा मात्रा पाए जाने के चलते पांच भारतीय कफ सिरप के खिलाफ अलर्ट जारी किया था। अमेरिकी फूड एंड ड्रग अथॉरिटी ने भारत के कई उत्पादों को अपनी इम्पोर्ट लिस्ट से हटा दिया है।
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