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इलाहाबाद हाईकोर्ट।
– फोटो : अमर उजाला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक कदाचार के आरोपी ललितपुर के अपर जिला जज रहे उमेश कुमार सिरोही की बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि किसी न्यायिक अधिकारी द्वारा अपने लिए या अपने करीबी रिश्तेदारों के लाभ के लिए किए गए किसी भी कदाचार से हमेशा गंभीरता से निपटा जाना चाहिए।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने दिया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रहे उमेश कुमार सिरोही ने अपनी बर्खास्तगी के प्रशासनिक आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वर्ष 2001 बैच के सिविल जज सिरोही 2013 में उच्च न्यायिक सेवा में प्रोन्नत हुए थे। वर्ष 2016 और 2017 में उच्च न्यायालय के प्रशासनिक पक्ष की ओर उनके विरुद्ध दो आरोपपत्र जारी किए गए थे।
पहला आरोप पत्र मेरठ में तैनाती के दौरान जारी हुआ, जिसमें उन पर अपने सिविल जज भाई की शादी के लिए दहेज मांगने और अपने भाई की पत्नी और उसके परिवार को फंसाने की साजिश के तहत अपने हाथ पर चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। जबकि, दूसरे आरोप पत्र में उन्होंने अपनी पत्नी की ओर से दर्ज मामले की कार्यवाही में एक अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को प्रभावित करने की कोशिश की थी। उन पर तत्कालीन जिला न्यायाधीश मेरठ के खिलाफ पक्षपात के झूठे आरोप लगाने का भी आरोप लगाया गया था।
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