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नई दिल्ली1 दिन पहले
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सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की शुक्रवार (17 मई) का शाम 6.30 बजे उस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें चुनाव आयोग से वोटिंग परसेंटेज का डेटा 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। NGO ने इस पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने आज की सुनवाई के बाद चुनाव आयोग से वोटिंग परसेंटेज का डेटा 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग पर जवाब मांगा है। बेंच ने आयोग को इसके लिए एक हफ्ते का समय दिया है।
CJI ने कहा कि चुनाव आयोग को याचिका पर जवाब देने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए। लोकसभा चुनाव के छठवें फेज की वोटिंग के एक दिन पहले 24 मई को समर वेकेशन में उचित बेंच में सामने सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाना चाहिए।
पिछले हफ्ते, ADR ने अपनी 2019 जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन किया था जिसमें चुनाव पैनल को निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी पोलिंग सेंटर्स के फॉर्म 17 C भाग- I (रिकॉर्ड किए गए वोटों का अकाउंट) की स्कैन की गई कॉपी वोटिंग के तुरंत बाद अपलोड की जाएं।
NGO ने दलील दी थी कि याचिका यह तय करने के लिए दायर की गई थी ताकि चुनावी अनियमितताओं का लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर न हो। NGO की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने इस पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी।
याचिका में दावा- वोटर टर्न आउट देर से जारी किया
याचिका में कहा गया है कि आयोग ने पहले दो फेज का वोटिंग डेटा देर से पब्लिश किया। पहले फेज की वोटिंग के 11 दिन बाद और दूसरे फेज की वोटिंग के 4 दिन बाद यह डेटा सामने आया था। फाइनल वोटर टर्नआउट जारी करने में हुई देर और पोल पैनल के प्रेस नोट में 5% से ज्यादा के अंतर ने इसके सही होने पर चिंताएं और संदेह बढ़ा दिया है।
वोटर टर्नआउट जारी न होने के साथ-साथ डाले गए वोटों के आंकड़े जारी करने में देरी के कारण वोटर्स में शुरुआती आंकड़ों और 30 अप्रैल को जारी आंकड़ों के बीच आए फर्क को लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं। इन्हें दूर किया जाना चाहिए।
वोटर्स का भरोसा कायम रहे, इसके लिए जरूरी है कि आयोग अपनी वेबसाइट पर वोटिंग बंद होने के 48 घंटों के भीतर डाले गए वोटों का सर्टिफाइड डेटा पब्लिश करे।
सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT के 100% मिलान की मांग खारिज कर चुका
अप्रैल में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं। लेकिन एक बड़ा फैसला भी दिया। कोर्ट ने EVM के इस्तेमाल के 42 साल के इतिहास में पहली बार जांच का रास्ता खोल दिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि बैलट पेपर से चुनाव नहीं होंगे। लेकिन कैंडिडेट की शिकायत पर EVM जांच होगी। पढ़ें पूरी खबर…
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