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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि आज के डिजिटल दौर में नाबालिगों को ‘वर्चुअल टच’ के बारे में भी जागरूक किया जाना चाहिए। उन्हें सिर्फ ‘अच्छे और बुरे स्पर्श’ के बारे में पढ़ाना पर्याप्त नहीं है। वर्चुअल टच (Teaching about Virtual Touch) को लेकर उन्हें उचित ऑनलाइन व्यवहार सिखाना, हिंसक व्यवहार के चेतावनी संकेतों को पहचानना, गोपनीयता सेटिंग्स और ऑनलाइन सीमाओं के महत्व को समझना जरूरी है।
जोखिमों को पहचानने की जरूरत
पीठ ने कहा कि नाबालिगों को ऑनलाइन माध्यमों से रूबरू होने को सुरक्षित बनाने और साइबरस्पेस में छुपे संभावित जोखिमों को पहचानने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी कमलेश देवी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए की है। आरोपी महिला पर नाबालिग लड़की का अपहरण करने और उसे देह व्यापार में धकेलने के बाद उसके यौन उत्पीड़न में अपने बेटे की मदद करने का आरोप है।
क्या है मामला?
आरोपी कमलेश देवी के बेटे राजीव ने सोशल मीडिया के जरिए 16 वर्षीय लड़की से दोस्ती की। जब वह उससे मिलने गई तो उसका अपहरण कर लिया। लड़की को मध्य प्रदेश ले जाकर कई दिन तक वहीं रखा गया। इसके बाद उसने और अन्य लोगों ने कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया। किशोरी ने आरोप लगाया कि उसे पैसे के बदले 45 वर्षीय व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर किया गया। कथित तौर पर आरोपी और अन्य लोगों ने उसका यौन उत्पीड़न किया।
अभिभावक और शिक्षक जागरूक करें
न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा (Justice Swarana Kanta Sharma) की पीठ ने कहा कि नाबालिगों को डिजिटल दुनिया में कैसा व्यवहार करना चाहिए, इसे लेकर माता-पिता और शिक्षक उन्हें जागरूक करें। साथ ही स्कूलों और कॉलेजों, दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण और दिल्ली न्यायिक अकादमी जैसे संस्थानों को इस मामले पर कार्यक्रम, कार्यशालाएं और सम्मेलन आयोजित करने के लिए मैसेज भेजना भी समय की मांग है।
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