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Delhi University : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) इस साल 80 से अधिक मास्टर्स विषयों में दाखिला देने जा रहा है। दाखिले के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 25 मई है। डीयू की ओर से सोमवार को आयोजित वेबिनार में डीयू की डीन एडमिशन प्रो.हनीत गांधी ने छात्रों से जानकारी साझा की। डीयू के यूट़्यूब चैनल पर इस बारे में छात्रों ने सवाल भी किए। प्रो.हनीत गांधी ने बताया कि मास्टर्स के लिए छात्र अधिक से अधिक कोर्स और कॉलेज को प्राथमिकता दें। ज्ञात हो कि डीयू नॉर्थ और साउथ कैंपस के अलावा कुछ कॉलेजों में और ग्वायर हॉल में पीजी की डिग्री की पढ़ाई होती है।
वेबिनार में बताया गया कि सीयूईटी देने के दौरान जिन अभ्यर्थियों ने दिल्ली विश्वविद्यालय का विकल्प नहीं भरा है, वह भी डीयू की ओर से पीजी दाखिला प्रक्रिया के दूसरे चरण सामान्य सीट आवंटन प्रणाली (सीएसएएस) में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं, लेकिन बिना सीयूईटी के पीजी में दाखिला नहीं हो सकता है।
गलत फार्म मान्य नहीं होगा
प्रो. गांधी ने स्पष्ट किया है कि छात्र सीयूईटी फार्म में जो जानकारियां भरी थी उसे ही वह सीएसएएस फार्म में भरें। गलत फार्म भरने पर वह मान्य नहीं होगा। नियमित कॉलेजों के साथ एनसीवेब की छात्राओं को दिल्ली का निवास प्रमाणपत्र देना होगा। दाखिला संबंधी किसी तरह की जानकारी अभ्यर्थी pgadmission.uod.ac.in से प्राप्त कर सकते हैं।
‘ईडब्ल्यूएस को प्रवेश देने की याचिका पर निर्णय लें,
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को जामिया मिलिया इस्लामिया से कहा कि वह अपनी आवासीय कोचिंग में ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) श्रेणी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को प्रवेश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर प्रतिनिधित्व के रूप में निर्णय लें। याचिकाकर्ता ने कहा कि आरसीए, जो कि सिविल सेवा के उम्मीदवारों के लिए एक मुफ्त कोचिंग कार्यक्रम है, केवल महिलाओं और अल्पसंख्यक या एससी, एसटी समुदायों को इसका लाभ दे रहे हैं। वहीं, मनमाने ढंग से अन्य वंचित श्रेणियों को इससे बाहर कर दिया गया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता कानून के छात्र सत्यम सिंह ने बिना किसी पूर्व प्रतिनिधित्व के सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस पर पीठ ने विश्वविद्यालय से जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानते हुए निर्णय लेने के लिए कहा। बेंच ने कहा कि जेएमआई को इसे एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने और कानून के अनुसार चार सप्ताह में निर्णय लेने के निर्देश के साथ वर्तमान रिट याचिका का निपटारा किया जा रहा है।
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