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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार और संवर्धन के उद्देश्य से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने नई पहल की है। अब तक बीए के समकक्ष शास्त्री में प्रवेश के लिए पूर्व कक्षा में संस्कृत विषय होना अनिवार्य था। बगैर संस्कृत विषय के 12वीं के विद्यार्थियों का शास्त्री में प्रवेश संभव नहीं था। अब पुराने नियम में संशोधन किया गया है। इसमें 12वीं कक्षा में यदि संस्कृत विषय नहीं है तब भी शास्त्री में (कुछेक विषयों को छोड़कर) प्रवेश मिल जाएगा।
संस्कृत विद्यालय शिक्षक समिति के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. पवन कुमार शुक्ला ने बताया कि एक समय संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय व पूरे देश में फैले इसके संबद्ध महाविद्यालयों की कुल छात्र संख्या लाख के ऊपर होती थी। यह संख्या धीरे-धीरे घटती चली गई। अब इस नई व्यवस्था के आदेश से एक बार फिर से संस्कृत पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ेगी।
संस्कृत विद्यालय शिक्षक समिति के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. पवन कुमार शुक्ल ने बताया कि पूर्व में समिति के प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रपति पुरस्कृत डॉ. गणेश दत्त शास्त्री के नेतृत्व में पदाधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल वर्तमान व पूर्व कुलपतियों से भी मिला था। वर्तमान कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने समिति के प्रस्ताव पर विचार का आश्वासन भी दिया था। अब उन्होंने आदेश भी जारी कर दिया। शिक्षक समिति के डॉ. अभिषेक पाठक, डॉ. गोविंद मिश्र, डॉ. सुरेश चंद्र उपाध्याय, डॉ. सुरेंद्र मिश्र, डॉ. रमाकांत पांडेय और डॉ. आमोद दत्त शास्त्री ने विश्वविद्यालय के इस कदम की सराहना की
ज्योतिष में प्रवेश के लिए नियम में सरलता लाई गई
ज्योतिष शास्त्र पढ़ने वालों की रुचि के अनुरूप इसमें प्रवेश और सरल कर दिए गए हैं। नए नियम के अनुसार उत्तर मध्यमा किसी भी विषय से हो, शास्त्री में फलित ज्योतिष में प्रवेश हो सकेगा।
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