अजित सिंह
*लग सकते हैं कुछ समय और, रेलवे की हरी झंडी मिलते ही चालू होगा आवागमन
*रेलवे ओवरब्रिज के दूसरे लेन मरम्मत से उपजी है समस्या
*हाईवे निर्माण द्वारा कार्य कर लिया गया है पूरा, रेलवे विभाग की स्वीकृती के बाद मिलेगी गति
सोनभद्र। डाला वैष्णो देवी मंदिर के समीप रेलवे ओवरब्रिज हाइवे के दूसरे लेन की सड़क को प्रारंभ होने में अभी तकरीबन दस से बारह दिन और लग सकतें हैं। सड़क मरम्मत कार्य को पूर्ण करने के साथ ही सभु आवश्यक कार्रवाई की जा चुकी है महज टेस्टिंग के पश्चात इसे आवागमन के लिए प्रारंभ कर दिया जाएगा। यह तब तक संभव नहीं है जब-तक कि रेलवे द्वारा इसके लिए हरी झंडी नहीं मिल जाती है। बताते चलें कि पिछले कई महीनों से वाराणसी-शक्तिनगर हाईवे पर डाला स्थित वैष्णो देवी मंदिर के समीप रेलवे लाइन के उपर बने ओवरब्रिज से हाईवे गुजरा है जिसके एक लेन में दरार आने के कारण इसे आवागमन के लिए रोक दिया गया है वह भी एक लेन से सिर्फ दो पहिया वाहन और फोर व्हीलर में आटो, कार इत्यादि का ही आवागमन हो रहा है। बड़े वाहनों मसलन ट्रक बस हाईवा इत्यादि का मार्ग परिवर्तित कर उन्हें रेलवे ओवरब्रिज से पहले ही ओबरा की ओर मोड़ कर चलाया जा रहा है। इससे समय और धन दोनों का अपव्यय लोगों को करना पड़ रहा है। शक्तिनगर, म्योरपुर, रेनूकोट, पिपरी इत्यादि के लिए ओबरा की ओर से घूम कर आना-जाना पड़ रहा है। डाला में माता वैष्णोदेवी का विख्यात मंदिर होने से वाराणसी की ओर से आने वाले दर्शनार्थियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आम जनों की भी परेशानियों में इजाफा हो गया है। इधर बीच हाइवे पर स्थित डाला रेलवे ओवरब्रिज के दूसरे लेन का मरम्मत कार्य पूर्ण होने और रंग-रोगन के साथ ही पथ संकेतकों के लगाये जाने से लोगों में इसके जल्द ही प्रारंभ होने की उम्मीद जगी थी, लेकिन जानकार बताते हैं कि जबतक रेलवे की स्वीकृति और टेस्टिंग नहीं हो जाती है तब तक इसे प्रारंभ नहीं किया जा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में अभी कम से कम दो सप्ताह लगने का अंदेशा जताया जा रहा है।
-----बाजार हुआ पुरी तरह से बेजार----
वैष्णो देवी मंदिर के आसपास दुकान लगाकर परिवार की जीविका चलाते हुए आ रहे लोगों की माने तो पिछले कई महीनों से इस मार्ग पर आवागमन बाधित होने से इसका सीधा असर उनकी जीविका पर पड़ा है। बड़े वाहनों बस इत्यादि का आवागमन इधर से ना होने के कारण बाजार पूरी तरह से बेजार हो उठा है। मानो खामोशी का आलम हो। किसी प्रकार से लोगों की जीविका संचालित हो रही है। लोगों खासकर स्थानीय दुकानदारों में उम्मीद है कि यदि नवरात्र प्रारंभ होने से पहले यह मार्ग प्रारंभ कर दिया जाएगा तो उनकी जीविका का साधन पुनः चल पड़ेगा, अन्यथा फांकाकशी की नौबत उत्पन्न हो जाएगी।