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सिवनी जिले के पेंच नेशनल पार्क यानी ‘मोगली के घर’ में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय मोगली बाल उत्सव की शुरुआत 11 नवंबर से शुरू हो गई है। इसके लिए राज्य के सभी जिलों से पेंच के दुरिया में चयनित ‘बाल मित्र’ सहभागी शिक्षकों के साथ पहुंच गए हैं।
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13 नवंबर तक राज्य स्तरीय आयोजन में विद्यार्थियों व शिक्षकों को सैर-सपाटा और मौज-मस्ती करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण तथा जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र (ईको सिस्टम) को समझने का अवसर मिल रहा है। प्रतिभागी बच्चों को तीन ग्रुप बालू, बघीरा और का में बांटकर क्रमशः जंगल सफारी, हैबिटेट सर्च, ट्रेजर हंट में बारी-बारी से शामिल कराया जा रहा है।
प्रत्येक ग्रुप में 118 बच्चों व शिक्षकों को बांटा गया है। आज पहले दिन सोमवार को बघीरा बस में विद्यार्थियों को दुरिया रवाना किया गया।
18 साल से हो रहा उत्सव
जैव विविधता पर जागरूकता फैलाने के लिए 18 वर्षों से पेंच टाइगर रिजर्व में तीन दिवसीय मोगली बाल उत्सव हो रहा है। वर्ष 2004 से हो रहे कार्यक्रम में लगभग छह हजार विद्यार्थी व शिक्षक सक्रिय रूप से सहभागिता कर चुके हैं, जबकि मोगली बाल उत्सव के लिए स्कूल, तहसील व जिला स्तर की चयन प्रक्रिया में राष्ट्रीय हरित कौर (एनजीसी) के सदस्यों सहित पूरे राज्य से बड़ी संख्या में छात्र प्रतिवर्ष भाग लेते हैं। राज्य के प्रत्येक जिले से चयनित चार विद्यार्थी तथा दो मार्गदर्शी शिक्षक जंगल की विविधता को समझ रहे हैं। कार्यक्रम स्थल पर आयोजक विभागों में शामिल जैव विविधता, स्कूल शिक्षा, वन सहित अन्य विभागों के विशेष भूमिका निभा रहे हैं। सिवनी जिले के 16 चयनित विद्यार्थियों, शिक्षकों के अलावा केंद्रीय विद्यालय, एनसीसी व स्काउट गाइड के विद्यार्थी भी राज्य स्तरीय सहभागिता कर रहे हैं। 400 विद्यार्थी व शिक्षक ‘मोगली’ के घर में सेर कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार पांढुर्णा को छोड़कर राज्य के सभी जिलों से बच्चे कार्यक्रम स्थल पहुंच गए हैं। वर्ष 2017 और 2020 को छोड़ प्रत्येक वर्ष यह आयोजन होता आ रहा है।
जंगल का ईको सिस्टम समझ रहे विद्यार्थी
तीन दिन में विद्यार्थी व शिक्षकों को जंगल की विशेषता, वन्यजीवन, जैव विविधता व प्रकृति से जुड़ी ज्ञानवर्धन जानकारी दी जाएगी। विभिन्न रोचक गतिविधियों में बच्चे सहभागी बन रहे हैं। मध्य प्रदेश जैव विविधता बोर्ड, पेंच टाइगर रिजर्व प्रबंधन, सिवनी जिला प्रशासन, स्कूल शिक्षा विभाग, पर्यावरण शिक्षा केंद्र, वन विभाग, जनजातीय कार्य विभाग की कार्यक्रम में भूमिका निभा रहे हैं। जंगल सफारी में वन्यजीवों के अलावा उनके प्राकृति रहवास, पेड़-पौधे, पहाड़, नदी, घास मैदान सहित जैव विविधता को देखने व जानने का अवसर बच्चों को मिल रहा है। बफर जंगल में नेचर ट्रेल के दौरान बच्चों को दीमक, चींटी जैसे छोटे-छोटे जीव-जंतु की जंगल में उपयोगिता बताई जाएगी। प्रकृति अपना जीवन चक्र किस तरह चलाती है, यह समझाने का प्रयास किया जाएगा। ट्रेजर हंट व हैबिटेट सर्च में बच्चों को प्रकृति कैसे संरक्षित होती है, वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास कैसे तैयार होता है। किस तरह वन्यप्राणी अपने आवास का संरक्षण व संवर्धन करते हैं। इसकी जानकारी आगामी दिनों में दी जाएगी। दीमक कैसे मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं। जीव-जंतु, पशु पक्षियों के व्यवहार को समझने का मौका बच्चों को मिलेगा।
पेंच नदी के बीच फैला 1179 किमी का जंगल
रुडयार्ड किपलिंग की ‘द जंगल बुक’ का मुख्य पात्र भेड़िया बालक ‘मोगली’ का घर पेंच टाइगर रिजर्व को माना जाता है। मोगली व उसके वन्यप्राणी मित्रों का नाम हर उम्र के लोगों की जुबान पर रहता है। ‘मोगली’ के घर को देखने की ख्वाहिश लेकर देश व दुनिया से लोग पेंच राष्ट्रीय उद्यान पहुंचते हैं। पेंच टाइगर रिजर्व का 1179 वर्ग किमी क्षेत्रफल सिवनी व छिंदवाड़ा जिले में पेंच नदी के बीच फैला है। इसका 411 वर्ग किमी क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र (कोर एरिया) है। पेंच और उससे लगे जंगल में गणना अनुसार 123 बाघों का रहवास है। वर्ष 2006 में इनकी संख्या मात्र 35 रह गई थी। बाघों के संरक्षण पर फैलाई गई जागरूकता, बेहतर प्रबंधन व सुरक्षा का नतीजा है कि बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। जंगल में 1010 प्रजाति के पेड़ पौधे, वनस्पति व घास मिलती है। जंगल के बीच में बहने वाली नदी पेंच पार्क को दो हिस्सों में बांटती है। नदी में मछलियों की 50 प्रजातियां पाई जाती हैं। जबकि पक्षियों की 325 प्रजातियां, स्तनधारियों की 57, सरीसृप की 37, तितलियों की 100 और 13 प्रजाति के उभयचर वन्यप्राणियों की मौजूदगी जंगल में मिलती है।जिला शिक्षा अधिकारी एसएस कुमरे ने बताया कि सोमवार सुबह मोगली बाल उत्सव का उद्घाटन सिवनी विधायक ने किया।
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