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हरदा में रविवार को अक्षय नवमी पर्व उत्साह के साथ मनाया गया। जानकारी के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा के साथ व्रत किया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार के लिए आरोग्यता और सुख-समृद्धि की कामना की जात
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हरदा में भी रविवार को महिलाओं ने आंवले की पूजा-अर्चना कर परिवार के आरोग्य और सुख समृद्धि की कामना की, वहीं निर्धन को अन्न,धन आदि का दान किया गया। जिला मुख्यालय के प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर, कृषि उपज मंडी के पंच पिपलेश्वर महादेव मंदिर, नेहरू पार्क सहित अन्य स्थानों और मंदिरों में भी महिलाओं ने आंवले के पेड़ पर सूत बांधकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की। जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने सहभागिता की। पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया। इसके अलावा घरों में सुबह से पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई।
महिलाओं ने आंवले की पूजा करने के बाद परिक्रमा लगाई। साथ ही परिवार सुख-समृद्धि की कामना की। शहर के शिवम वाटिका में रहने वाली डॉ. स्मिता मोरछले ने बताया कि मान्यता के अनुसार इस दिन किया गया तप, जप, दान कभी अक्षय नहीं होता। व्यक्ति को सभी पाप से मुक्त कर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिवजी का निवास होता है। इस दिन इस वृक्ष के नीचे बैठने और भोजन करने से रोगों का नाश होता हैञ भविष्य, स्कंद, पद्म और विष्णु पुराण के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।
पूजन के बाद पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाया जाता है। ऐसा करने से सभी तरह के पाप और बीमारियां दूर होती हैं। इस दिन किया हुआ जप, तप, दान व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त करता है और सभी मनकामनाओं को पूरा करने वाला होता है।
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