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हर चुनाव में सोरेन परिवार से टकरानेवाले भाजपा के सुनील सोरेन का इस बार दुमका में बसंत सोरेन से मुकाबला है। बसंत सीएम हेमंत सोरेन के छोटे भाई व झामुमो प्रत्याशी हैं। सुनील पहली बार जामा में सीएम हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन को हराकर विधायक बने
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झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से अबतक हुए चुनावों में यहां की जनता ने किसी भी उम्मीदवार को दोबारा मौका नहीं दिया। इस बार भाजपा ने लुईस मरांडी का टिकट काटकर सुनील को मौका दिया है। टिकट कटने के बाद लुईस को झामुमो ने बगल की जामा सीट से प्रत्याशी बना दिया है। दुमका क्षेत्र अर्द्धशहरी है। शहर के अलग-बगल पूरी तरह ग्रामीण परिवेश हैं। दुमका महिला प्रधान विस क्षेत्र है। यहां मतदाताओं की संख्या 2,56,694 है। इनमें महिला वोटर की संख्या 1,30,513 और पुरुष वोटर की संख्या 1,26,181 है।
इस बार भ्रष्टाचार और भितरघात भी बड़ा मुद्दा …
दुमका विधानसभा क्षेत्र में इस बार भ्रष्टाचार और भितरघात मुख्य मुद्दा है। झामुमो मंईयां सम्मान योजना, बिजली बिल माफी व अन्य कल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के बीच है। भाजपा इस बार बांग्लादेशी घुसपैठ और भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है।
लेकिन, भितरघात का भय दोनों को सता रहा है। पहली बार दुमका में भाजपा को जीत दिलानेवाली लुईस मरांडी को जब इस बार टिकट नहीं मिला, तो वह बागी बन कर झामुमो में चली गई हैं। झामुमो ने भी लुईस मरांडी को जामा से टिकट दे दिया है। इस कारण लुईस समर्थक भाजपाइयों के चुनाव में बसंत सोरेन के पक्ष में जाने से इंकार नहीं किया जा रहा। सुनील सोरेन को यह साबित करना है कि पार्टी का निर्णय सही था।
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