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हे छठी मइया…यह कैसी पूजा है। छठ पर घर में गंदगी न फैला दे, इसलिए एक लाचार ‘मां’सी (मौसी) को परिजनों ने घर से निकाल दिया। उन्हें घर से करीब 300 मीटर दूर कोनार नहर के किनारे प्लास्टिक के एक तंबू में छोड़ दिया।
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तंबू में बिस्तर पर पड़ी 75 साल की खिरिया देवी अब एक ही रट लगाए हुई है-हे छठी मइया…आपकी ये कैसी महिमा है। न काया निरोगी रहा और न ही किसी का सहारा। ऐसे जीवन से मुक्ति दे दीजिए।
दरअसल खिरिया देवी चल-फिर नहीं सकती। बिस्तर से उठने में भी मजबूर है। नित्यक्रिया के लिए भी मदद लेनी पड़ती है। ऐसी अवस्था में उन्हें सहारा चाहिए। लेकिन छठ पर घर की सफाई के नाम पर अपनों ने उन्हें बेसहारा कर दिया। गंदगी समझकर घर से दूर फेंक दिया। मामला गिरिडीह के बगोदर से करीब सात किमी दूर कोड़ाडीह गांव का है।
इस तरह के आधे-अधूरे टेंट में बुजुर्ग महिला रहने को मजबूर है।
दो माह से बिस्तर पर हैं, पति की हो चुकी है मौत खिरिया देवी ने कहा मेरा मायका गिरिडीह के अचलजामो और ससुराल बालक गांव में है। 15 साल पहले पति दुखन साव की मौत हो गई। कोई संतान नहीं है। 13 साल पहले मेरी सगी बहन पार्वती की बेटी लीलावती देवी अपने पति के साथ आई और मुझे साथ चलने को कहा। मैंने सोचा कि बुढ़ापे का सहारा मिल गया। घरों में काम करती थी। मजदूरी करती थी। जो पैसे मिलते थे, भतीजी को दे देती थी। दो माह पहले बैल ने घायल कर दिया। तब से बिस्तर से उठना भी मुश्किल है।
परिजनों का कहना है कि उन्हें समय-समय पर खाना पानी भी दिया जाता है।
परिजन बोले – समय-समय पर देते हैं खाना-पीना परिजन लीलावती ने बताया कि घर की एक कोठरी में उनके लिए जगह बनाई गई थी। घर में थी तो घिसटकर बेड से नीचे उतर जाती थी। जहां-तहां शौच कर देती थी। छठ महापर्व पर घर की पवित्रता बनाकर रखनी होती है। घर को गंदा न कर दे, इसलिए हउसे झोपड़ी बनाकर घर से दूर कर दिया है। समय-समय पर भोजन-पानी पहुंचा देते हैं। गांववाले भी खाने-पीने को दे देते हैं।
मुखिया बोले – यह शर्मनाक घटना हेसला पंचायत के मुखिया रामचंद्र यादव ने कहा कि यह शर्मनाक घटना है। मैंने उनके घरवालों को बहुत समझाया। उनके लिए अलग से घर और भोजन की व्यवस्था की बात कही। लेकिन वे लोग तैयार नहीं हुए। क्योंकि देखभाल उन्हीं लोगों को करनी पड़ती।
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