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जिले के सरकारी के साथ-साथ निजी विद्यालयों में नामांकन लेने वाले बच्चे सरकारी योजनाओं से वंचित हो जाएंगे। शिक्षा विभाग ऐसे बच्चों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू करेगी. विभाग का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलता है। योजना की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे विद्यार्थियों के खाते में दी जाती है। विद्यार्थियों को राशि भुगतान के लिए आधार सीडेड खाता का होना अनिवार्य कर दिया गया है।
यदि किसी विद्यार्थी का सरकारी स्कूल के साथ निजी स्कूल (दो जगह) नामांकन होगा उन्हें सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। जिले में ऐसी शिकायतें मिली हैं कि कुछ विद्यार्थियों का सरकारी एवं निजी स्कूलों में दोनों जगह नामांकन है। इस तरह का नामांकन सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए
किया जाता है। इस गलत व्यवस्था को समाप्त करने के लिए सभी निजी विद्यालयों के ई-विद्यावाहिनी पोर्टल पर बच्चों का आधार निबंधन बाध्यकारी किया
गया है, ताकि स्कूलों में अध्यनरत विद्यार्थियों सहित अन्य आवश्यक डाटा ई विद्यावाहिनी पोर्टल पर संधारित कर दोहरी नामांकन की व्यवस्था पर नियंत्रण किया जा सके। यदि किसी बच्चे का दो जगह नामांकन है तो उनका सरकारी स्कूल से नाम हटा दिया जाएगा। सभी जिलों के प्रधानाध्यापकों और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि स्कूल बच्चों का ई-विद्यावाहिनी पोर्टल पर आधार निबंधन कराना सुनिश्चित करें। साथ ही विद्यालयों में नामांकित शत-प्रतिशत बच्चों का आधार बने, यह भी सुनिश्चित किया जाए।
राज्य बदलने पर भी नहीं बदलेगा पेन नंबर: जो स्कूल यू-डायस पोर्टल पर बच्चों का प्रोफाइल अपलोड करेंगे, उन्हीं स्कूलों को बच्चों को पेन नंबर देने का अधिकार है। स्कूलों द्वारा बच्चों को दिये जाने वाला एक पेन नंबर 12वीं कक्षा तक मान्य रहता है। इस पेन नंबर के माध्यम से बच्चे देश के किसी भी राज्य के स्कूल में जाकर नामांकन ले सकते हैं। पेन नंबर बच्चों की आइडेंटिटी की तरह काम करता है। इसमें बच्चे की पूरी जानकारी होने के साथ ही एकेडमिक रिपोर्ट भी देखी जा सकती है।
फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक : पेन नंबर से स्कूल के साथ-साथ बच्चों के नामांकन में होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी। अभी तक अभिभावक किसी भी सरकारी या गैर सरकारी स्कूल से टीसी लेकर अन्य स्कूलों में बच्चों का नामांकन करा देते हैं, जबकि बच्चों का नाम स्कूल के रजिस्टर पर अंकित नहीं है। बिना रिकॉर्ड मेंटेन किये ही टीसी जारी कर दिया जाता था। पेन नंबर से अब ऐसा नहीं होगा। जिनके पास पेन नंबर होगा, उन्हीं बच्चों का अन्य स्कूल में नामांकन होगा। इससे यह पता चल जाएगा कि संबंधित बच्चे का नामांकन किस स्कूल में है।
इससे एक बच्चे का एडमिशन दो जगह नहीं हो सकेगा जो कि अभी तक कई स्कूल छात्रवृति जैसी योजनाओं का लाभ लेने के लिए करते रहते हैं। एडमिशन में पारदर्शिता के लिए पेन नंबर की अनिवार्यता बेहद जरूरी है। इसके साथ ही कई और भी फायदे हैं। इसलिए सभी स्कूलों को अनिवार्य रूप से निर्देश दिया गया है कि अपने यहां नामांकित हर बच्चे का पेन नंबर जेनरेट करें. वहीं, अगर किसी दूसरे स्कूल से आकर बच्चा एडमिशन ले रहा है तो उसका पेन नंबर लेकर उसमें जानकारी अपडेट करें। शशि प्रकाश, प्राथमिक शिक्षा निदेशक पेन जेनरेट करने के लिए यू-डायस पोर्टल पर रजिस्टर्ड होना जरूरी ऐसे छात्र जो बीच में स्कूल बदलते हैं, उनके लिए नया अपडेट है।
ऐसे अभिभावकों को एडमिशन के दौरान संबंधित स्कूल में अपने बच्चे का 9 अंकों का पेन (पर्सनल एजुकेशन नंबर) एड कराना होगा। यह नंबर उनके पुराने स्कूल से मिलेगा। अगर कोई अभिभावक यह नंबर नहीं देता है तो संबंधित बच्चे का नामांकन स्वत: रद्द हो जाएगा। इसे लेकर शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों को निर्देश जारी किया गया है। विद्यार्थियों का पेन नंबर जेनरेट करने के लिए स्कूल प्रबंधकों को यू-डायस पोर्टल पर रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। यू-डायस नंबर से ही स्कूल प्रत्येक विद्यार्थियों का पेन नंबर जेनरेट कर सकते हैं। एक बार यह जेनरेट होने के बाद हमेशा के लिए बच्चे की पहचान बन जाएगी।
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