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मशीनों के उपयोग से पशुपालन में कमी, फसल अवशेष जला रहे हैं किसान
सिवनी में प्रतिबंध के बावजूद नरवाई जलाने से प्रदूषण के साथ आगजनी की संभावना बढ़ रही है। खरीफ फसलों की कटाई अंतिम दौर में है, मक्का की तुड़ाई पूरी हो चुकी है, और धान की कटाई भी 30 प्रतिशत से अधिक हो गई है। किसान आगामी फसलों के लिए खेतों को तैयार करने
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जिले में 4 लाख हेक्टेयर में होती है खेती
जिले में 4 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान, मक्का और अन्य खरीफ फसलों की खेती होती है। अब अधिकांश खेती मशीनों के जरिए होती है, जिससे पशुपालन में कमी आई है। ऐसी स्थिति में फसलों के बचे अवशेष पशुओं के भोजन के रूप में उपयोग नहीं किए जा रहे हैं, और किसानों को नरवाई को जलाने का विकल्प ही अधिक उचित लगता है।
नरवाई से जैविक खाद बनाने की संभावना
कृषि कल्याण विभाग के अधिकारी मोरेश नाथ का कहना है कि किसानों को फसल कटाई के बाद नरवाई को गहरी जुताई के माध्यम से जमीन में मिलाना चाहिए। पानी छोड़े जाने पर यह गलकर आगामी फसलों के लिए जैविक खाद बन सकती है। इसके साथ ही सीडर जैसे यंत्र उपलब्ध हैं जो नरवाई को मिट्टी में मिलाकर इसे खाद में परिवर्तित कर सकते हैं।
नरवाई जलाने पर जुर्माने का प्रावधान
दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों पर 2500 रुपए, पांच एकड़ से कम भूमि पर 5000 रुपए और इससे अधिक भूमि पर 15000 रुपए जुर्माना लगाने का प्रावधान है। पिछले साल नरवाई जलाने वाले किसानों के खेतों का सैटेलाइट मैपिंग कराया गया था और कई किसानों पर मामले दर्ज किए गए थे।
कार्रवाई का अभाव
फसल कटने से पहले प्रशासन की ओर से नरवाई न जलाने के संबंध में चेतावनी जारी की जाती है और कार्रवाई की बात कही जाती है, लेकिन इस सीजन में अब तक नरवाई जलाने वालों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
मशीनों से कटाई में पशुपालन में कमी, किसान जला रहे हैं फसल अवशेष
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