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पंजीयन कार्यालय को तीन दिन में स्टाम्प ड्यूटी के माध्यम से 28 करोड़ रुपए की आय हुई है। बुधवार को त्योहार के बीच भी कार्यालय पर लोगों में उत्साह देखा गया। लोग रजिस्ट्र करवाने पहुंचे।
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दरअसल, नागरिकों के द्वारा मकान, दुकान, प्लाट, कार्यलाय आदि की खरीदी के लिए पूर्व से ही सौदे कर लिए गए थे। लोगों ने तय किया था कि धनतेरस के दिन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवा कर उसे हम अपने नाम पर करवाएंगे। इस तरह धनतेरस का दिन लोगों के लिए यादगार बन गया। मंगलवापर को धनतेरस के बाद बुधवार को भी लोगों में रजिस्ट्री के लिए जमकर उत्साह देखा गया।
सामान्य दिनों में 4.30 बजे तक पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री का काम होता है लेकिन त्योहारी सीजन में टाईम 3 घंटे के लिए बढ़ा दिया गया। प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के लिए शाम 7.30 बजे तक बुकिंग का काम किया गया। सोमवार, मंगलवार और बुधवार तीन त्योहारी दिनों में पंजीयन कार्यालय को करीब 28 करोड़ रुपए की आय स्टाम्प ड्यूटी से हुई है।
सोमवार को लगभग 9 करोड़ रुपए, मंगलवार को करीब 12 करोड़ रुपए की आय हुई थी। अधिकारियों के मुताबिक बुधवार को करीब 750-800 दस्तावेजों को पंजीयन हुए है। इससे लगभग साढ़े सात-आठ करोड़ रुपए का राजस्व मिला है।
अब सोमवार को खुलेंगे कार्यालय
अधिकारियों के अनुसार गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार यानी अगले चार दिन काम बंद रहेगा। सोमवार 4 नवंबर से ही कार्यालय में कामकाज सामान्य तौर पर होगा। बता दें पुष्य नक्षत्र के दिन भी धनतेरस की तरह ही बड़ी संख्या में रजिस्ट्री हुई थी। तब रजिस्ट्री का आंकड़ा धनतेरस से ज्यादा था। एक हजार से ज्यादा रजिस्ट्री हुई थी, जिससे करीब 14 करोड़ रुपए की आय स्टाम्प ड्यूटी के माध्यम से विभाग को हुई थी।
संपदा सॉफ्टवेयर 2.0 के तहत काम जारी
बता दें संपदा सॉफ्टवेयर 2.0 के तहत इंदौर में काम शुरू हो चुका है। पंजीयन विभाग के मुख्यालय पर उप पंजीयक प्रदीप कुमार निगम ने पहला दस्तावेज पिछले दिनों पंजीबद्ध किया था। पक्षकार नितिन उपाध्याय ने कृष चौहान को यह पॉवर ऑफ अटार्नी दी। दोनों को ही पंजीयन कार्यालय नहीं आना पड़ा।
दोनों के बयान वीसी से लिए गए थे। सब रजिस्ट्रार निगम ने यह पंजीयन शाम 4.56 पर किया था और एक मिनट में ही पंजीबद्ध दस्तावेज चौहान को मेल पर पहुंच गए थे।
वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक शर्मा ने बताया कि पहले दिन एक वसीयत और दो पॉवर ऑफ अटार्नी हुई थी। अचल संपत्ति की रजिस्ट्री के समय संपत्ति की पहचान नक्शे पर गाइडलाइन लोकेशन की जियो टैगिंग के माध्यम से ही की जा रही है। किसी को भी उपपंजीयक कार्यालय जाने की जरूरत इस सिस्टम में नहीं होगी।
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