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Japan Election: जापान के पीएम शिगेरू इशिबा के लिए संसदीय चुनाव अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं. जापानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) भी बढ़त बनने में कामयाब नहीं हो पाई. वहीं, LDP के सहयोगी दल कोमिटो को रविवार (27 अक्टूबर) को करारी हार का सामना करना पड़ा और निचले सदन में बहुमत हासिल करने में सफल नहीं हो पाई. इस वजह से 15 सालों में पहली बार देखने को मिल रहा है कि इशिबा को अब सत्ता में बने रहने के लिए गठबंधन में तीसरे दल को शामिल करना होगा.
जापान में हुए हलिया चुनाव ‘स्लश फंड घोटाले’ के बाद पहला राष्ट्रव्यापी मतदान है, जिसने सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को हिलाकर रख दिया था. इसकी वजह से जनता का पार्टी में विश्वास कम हुआ. इस वजह से फुमियो किशिदा को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वहीं दूसरी तरफ मौजूदा चुनाव में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई, जबकि LDP की सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी जापान की संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन कर के दिखाया.
शिगेरु इशिबा का दांव पड़ा उल्टा
NHK के अनुसार, LDP और उसके गठबंधन सहयोगी कोमिटो ने प्रतिनिधि सभा की 465 सीटों में से केवल 215 सीटें हासिल करने में कामयाब हो पाई, जिसे बहुमत तक पहुंचने के लिए आवश्यक 233 सीटों से कम रह गई. ये परिणाम प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने इस महीने ही पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आकस्मिक चुनाव बुलाने का दांव नाटकीय रूप से उल्टा पड़ गया।
LDP की सीटों में भारी गिरावट
चुनावों से पहले LDP और उसके गठबंधन सहयोगी कोमिटो के पास 279 सीटों का स्थिर बहुमत था. जबकि अकेले LDP के पास 247 सीटें थीं. रविवार को हुए चुनाव में LDP ने केवल 191 सीटें जीती, जो 2009 के बाद से यह सबसे खराब परिणाम है. इस वजह से पार्टी को अपनी सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा.
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