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गुरुग्राम में टूटी सड़कों के कारण उड़ रही धूल से पीएम 10 में ईजाफा देखने को मिला।
हरियाणा में प्रदूषण की स्थिति लगातार खराब हो रही है। गुरुग्राम में गुरुग्राम में प्रदूषण का स्तर 500 और फतेहाबाद में 416 तक पहुंच गया है। दिन प्रतिदिन पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती जा रही है। इसको लेकर हरियाणा सरकार एक्शन में दिख रही है।
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हरियाणा में पराली जलाने के 13 नए मामले दर्ज किए हैं वहीं अब तक 713 जगहों पर पराली जलाई गई है। ऐसे में हरियाणा सरकार भी सख्ती के मूड में दिख रही है। हरियाणा सरकार ने पराली जलाने से रोकने में कोताही बरतने के मामले में 11 अधिकारियों को चार्ज शीट किया है। 383 अधिकारियों को नोटिस दिए जा चुके हैं वही 26 कर्मचारियों को संस्पेंड किया जा चुका है। बावजूद इसके पराली जलाने की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। अब तक 186 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है व 34 की गिरफ्तारी हो चुकी है।
अब प्रदेश में पीएम 10 बढ़ने लगा है। गुरुग्राम और फतेहाबाद में पीएम 10 बढ़ने से दिक्कते बढ़ सकती हैं। बता दें कि दिल्ली एनसीआर में ग्रैप टू लागू हो चुका है। हरियाणा के 14 जिले एनसीआर में आते हैं। जिसमें फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और करनाल शामिल हैं।
दिवाली के बाद ठंड बढ़ेगी वहीं दूसरी ओर हरियाणा में मौसम में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। सुबह और शाम को हल्की ठंड रहती है। हालांकि अब उत्तर पश्चिमी हवाओं के कारण मौसम में लगातार गिरावट देखने को मिलेगी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार दिवाली के बाद हरियाणा में लोगों को ठंड का अहसास होने लगेगा। प्रदेश में फिलहाल अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर चल रहा है। वहीं रात के तापमान में आधा डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालयके कृषि मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि दिवाली के बाद मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा।
क्या होता है PM10 PM10 में निर्माण स्थलों, लैंडफिल और कृषि, जंगल की आग और ब्रश/कचरा जलाने, औद्योगिक स्रोतों, खुली जमीन से हवा में उड़ने वाली धूल, पराग और बैक्टीरिया के टुकड़े भी शामिल होते हैं। पीएम 10 कण इतने छोटे होते हैं कि वे आपके गले और फेफड़ों में जा सकते हैं । पीएम 10 का उच्च स्तर आपको खांसी, नाक बहना और आंखों में जलन पैदा कर सकता है। पीएम 10 का स्तर अधिक होने पर हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में अधिक लक्षण हो सकते हैं। लक्षणों में घरघराहट, सीने में जकड़न या सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकती है।
पराली जलाने के 13 नए मामले आए प्रदेश में पराली जलाने के 13 नए केस सामने आए हैं। आलम है कि कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र व यमुनानगर जिले में सबसे ज्यादा दो से तीन पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। फतेहाबाद, जींद व अंबाला जिले में भी एक-एक केस मिला है। वहीं हिसार जिले में पिछले तीन दिनों से राहत है कि कोई केस सामने नहीं आया है। हिसार में पराली जलाने पर 11 चालान किए गए हैं और 11 केस दर्ज हुए हैं। 8 किसानों की मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रेड एंट्री कर दी गई है, जिनसे एमएसपी पर फसल खरीद नहीं की जाएगी।
प्रदेश के 16 शहरों में AQI 300 पार वहीं प्रदेश के 16 शहरों में AQI 300 के पार चल रहा है। इसमें फरीदाबाद, गुरुग्राम, अंबाला, बहादुरगढ़, भिवानी, हिसार, चरखीदादरी, धारूहेड़ा, जींद, कैथल, कुरूक्षेत्र, मंडीखेड़ा, पंचकुला, सोनीपत और यमुनानगर जिले शामिल हैं। वहीं पानीपत और पलवल प्रदूषण का स्तर कम है।
WHO के मुताबिक वायु प्रदूषण से इन बीमारियों का खतरा
1. अस्थमा: सांस लेने में कठिनाई होती है, छाती में दबाव महसूस होता है और खांसी भी आती है। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति की श्वसन नली में रुकावट आने लगती है। यह रुकावट एलर्जी (हवा या प्रदूषण) और कफ से आती है। कई रोगियों में यह भी देखा गया है कि सांस लेने की नली में सूजन भी आ जाती है।
2. फेफड़ों का कैंसर: स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) प्रदूषण और धूम्रपान से होने वाला कैंसर है। इसका पता तब चलता है जब SCLC शरीर के अलग-अलग हिस्सों में फैल चुका होता है। साथ ही, नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) तीन तरह के होते हैं। एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा।
3. हार्ट अटैक : वायु प्रदूषण से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जहरीली हवा के PM 2.5 के बारीक कण खून में चले जाते हैं। इससे धमनियां सूज जाती हैं।
4. बच्चों में सांस की दिक्कत: बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह नाक, गले और फेफड़ों को संक्रमित करता है, जो सांस लेने में मदद करने वाले अंग हैं। बच्चों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। 5 साल से कम उम्र के बच्चे इस बीमारी से सबसे ज्यादा मरते हैं।
5. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) : क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक सांस संबंधी बीमारी है जिसमें मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह बहुत खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सबसे ज्यादा लोग सीओपीडी से मरते हैं।
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