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प्रदेश में पिछले 2 माह से 7 बीमारियां मौतों का कारण बन रही हैं। गलघोंटू (डिप्थीरिया) ने 20 दिन में ही 8 बच्चों को मौत की नींद सुला दिया। स्वाइन फ्लू 12 लोगों की जान ले चुका है। डेंगू ने हाहाकार मचा रखा है। मौतों को दर्ज ही नहीं किया जा रहा।
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स्क्रब टाइफस 10 की जान ले चुका। पिछले 2 माह में ही 17109 हजार लोग 7 बड़े रोगों के पाॅजीटिव पाए गए। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के एक मात्र मंत्री के काम को बांट दिया गया है। उनको गहलोत राज के अंतिम 6 माह के फैसलों की कैबिनेट कमेटी का मुखिया बना रखा है। साथ ही एसआई भर्ती को लेकर बनी कमेटी की रिपोर्ट भी देनी है।
इन कमेटियों की मंत्री ने पिछले 40 दिन में 6 मीटिंग कर ली, लेकिन महामारी रोकथाम के लिए 2 मीटिंग भी नहीं कर पाए। एक जयपुर, एक-एक जोधपुर, बीकानेर में बैठक कर पाए। दूसरी तरफ पिछले कुछ दिन से खींवसर उप चुनाव में लगा रखा है। गजेंद्रसिंह खींवसर रेवंतराम डांगा के नामांकन से लेकर प्रचार में व्यस्त है। प्रदेश की जनता 7 बड़ी बीमारियों से घर घर में त्रस्त है। रोगों की रोकथाम के लिए सरकार ने अतिरिक्त नेता, संसाधन नहीं लगाए। लेकिन 7 सीट जीतने के लिए 14 मंत्री उतार दिए। 40 स्टार प्रचारक तैनात कर दिए। मशीनरी खप रही है वह अलग।
भरतपुर और डीग जिले में डिप्थीरिया का कहर जारी प्रदेश के भरतपुर और डीग जिले में 20 दिन में डिप्थीरिया (गलघोटू) से 8 बच्चों की मौत हो गई। किसी बच्चे ने 15 घण्टे में तो किसी ने 24 घण्टे में दम तोड़ दिया। 16 बच्चे और डिप्थीरिया की चपेट में आने से भर्ती किए। लेकिन आला स्तर से कोई जायजा लेने नहीं गया।
टीके का टोटा
प्रदेश में हैपेटाइटिस बी के टीके का टोटा हो गया है। नवजात बच्चों के जीवन पर संकट है। किल्लत राजधानी जयपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में बताई जा रही है। किल्लत प्राइवेट अस्पतालों और बाजार में ज्यादा है। सरकारी अस्पतालों में अभी इसकी पर्याप्त आपूर्ति बनी हुई है।
इधर वोट खींचने लगाई 14 मंत्रियों की फौज उप चुनाव की 7 सीटें जीतने के लिए सरकार ने मंत्रियों की फौज उतार दी है। हर सीट पर 2-2 मंत्री तैनात किए हैं। कुल 14 मंत्री अभी उप चुनावों में व्यस्त हैं। विभागों के कार्य ब्यूरोक्रेसी के भरोसे हैं। 40 स्टार प्रचारक अलग से फील्ड में तैनात किए हैं।
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