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उचाना में कार्यकर्ताओं से मीटिंग करते बीरेंद्र सिंह।
हरियाणा में कांग्रेस की हार के कारणों पर चल रहा घमासान थम नहीं रहा है। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने हार का ठीकरा एकता न होने पर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में ऐसे कार्यकर्ता हो गए जो सिर्फ टिकट चाहते थे। अगर संगठन होता तो पदाधिका
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इससे पहले कुमारी सैलजा भी संगठन न होने को लेकर सवाल खड़े कर चुकी हैं। हालांकि, पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने हार का ठीकरा EVM पर फोड़ा था। हुड्डा ने तो इसकी जांच न होने पर कोर्ट तक जाने की बात कही है।
कांग्रेस की हार पर बीरेंद्र सिंह की 3 अहम बातें
1. संगठन होता तो गुटबाजी कमजोर पड़ जाती बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा में संगठन नहीं था। संगठन होता तो गुटबाजी की सोच भी ढीली पड़ जाती। संगठन का पदाधिकारी या कार्यकर्ता हो तो वह पार्टी से बाहर जाने के बारे में 10 बार सोचेगा कि जाऊं या न जाऊं।
2. सिर्फ टिकट वाले कार्यकर्ता गुट में बदल जाते हैं जब कोई यह सोचे कि मैं सिर्फ कार्यकर्ता हूं, बस टिकट मिल जाए। टिकट मिले तो आप कार्यकर्ता हो और न मिले तो आपका कांग्रेस की कार्यशैली और अनुशासन से कोई ताल्लुक नहीं। फिर वह गुट में बदल जाता है।
3. कांग्रेस की हवा थी, वोट परसेंट में सिर्फ 0.9% का अंतर बीरेंद्र सिंह ने CM नायब सैनी के कांग्रेस पर किए कटाक्ष, ‘हवा में रहने वाले हवा में रह गए’, पर कहा कि जो रिजल्ट आया है, उससे तो वह यही कहेंगे, लेकिन ऐसा है नहीं। वोट परसेंटेज में 0.9% का फर्क है।
BJP छोड़कर कांग्रेस में आए बीरेंद्र सिंह के बेटे भी चुनाव हार गए बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह 2019 के चुनाव में हिसार से BJP की टिकट पर सांसद चुने गए थे। हालांकि, इस बार हरियाणा में कांग्रेस का माहौल देख लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने पार्टी बदल ली। इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा टिकट नहीं दी। हालांकि, वह उचाना सीट से विधानसभा टिकट पाने में कामयाब रहे। यहां उनका मुकाबला भाजपा के देवेंद्र अत्रि से था। यहां बृजेंद्र महज 32 वोटों से हार गए।
हार पर कांग्रेस में अलग-अलग बातें
राहुल गांधी ने कहा- नेताओं के इंटरेस्ट पार्टी से ऊपर हो गए हरियाणा चुनाव में माहौल के बावजूद हार हुई तो राहुल गांधी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ समीक्षा बैठक की। इसमें राहुल गांधी ने हार की वजह पर कहा कि हमारे नेताओं के इंटरेस्ट पार्टी के इंटरेस्ट से ऊपर हो गए।
सैलजा ने कहा था- संगठन बहुत जरूरी चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद सैलजा रोहतक आईं थी। उनसे पूछा गया कि भूपेंद्र हुड्डा कहते थे कि संगठन की जरूरत नहीं, कार्यकर्ता ही सब कुछ है। इस पर सैलजा ने कहा था कि मैंने पहले से ही कहा है कि संगठन होना बहुत जरूरी है। कार्यकर्ता को पहचान संगठन से मिलती है। चाहे मेरा कार्यकाल रहा हो या उसके बाद, संगठन नहीं बन पाया।
स्टेट लेवल से लेकर जिला और ब्लॉक लेवल तक भी संगठन नहीं बना। सबसे महत्वपूर्ण है कि हमारे ब्लॉक और बूथ तक मजबूत हों, यह बहुत जरूरी था। जिले और राज्य में हमारे कार्यक्रम होते हैं। यह एक कमी है, जिसका मुझे भी मलाल रहा। हमारे सभी उम्मीदवारों को भी इसकी कमी खली होगी।
सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा। – फाइल फोटो
हुड्डा ने कहा- कहीं मानव मशीन से न हार जाए भूपेंद्र हुड्डा और उनके ही करीबी प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने प्रदेश की 20 सीटों की मतगणना में EVM में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि 99% चार्ज EVM से भाजपा जीती और 60-70% वाली से कांग्रेस को लीड मिली। उन्होंने इसकी शिकायत चुनाव आयोग कर जांच की मांग की थी। इसे लेकर हुड्डा ने कहा कि आयोग के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। फिर हम कोर्ट जाएंगे। ऐसा न हो कि मानव मशीन से हार जाए।
कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में गुटबाजी-भीतरघात आई चुनाव में हार को लेकर कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल और राजस्थान के विधायक हरीश चौधरी की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई थी। उन्होंने प्रदेश में हारे 52 कांग्रेस नेताओं और एक CPI(M) उम्मीदवार से अकेले-अकेले बात की।
इसमें ज्यादा उम्मीदवारों ने हार की वजह गुटबाजी बताई। उन्होंने यह भी कहा कि जिन्हें टिकट नहीं मिला, उन्होंने अंदरखाते वोट विरोधियों को डलवाए या फिर हमें वोट न देने के लिए कहा। कुछ उम्मीदवारों ने EVM पर भी जरूर शक जाहिर किया था।
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