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करनाल पहुंचे आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक।
हरियाणा के करनाल में स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में एक कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने किसानों को पराली प्रबंधन की नवीनतम तकनीकों के प्रति जागरूक किया। पंजाब, हरियाणा और
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महानिदेशक डॉ. पाठक का दावा है कि इस साल पराली जलाने की घटनाओं में पंजाब में 26% और हरियाणा में लगभग 17% कमी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 3-4 सालों में जलने की घटनाओं में लगातार कमी आ रही है, जो इस दिशा में सकारात्मक संकेत है। उनके अनुसार, यदि नई तकनीकों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए तो अगले तीन सालों में पराली जलाने की घटनाओं को शून्य तक लाने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में किसानों से बात करते डॉ. पाठक।
पराली प्रबंधन से मिट्टी की उपजाऊपन बढ़ाने पर जोर
डॉ. पाठक ने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और कार्बन जैसे आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। जिससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में कमी आती है। पराली का सही प्रबंधन करके इन तत्वों को मिट्टी में वापस मिलाया जा सकता है। जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी। उन्होंने जोर दिया कि पराली को खेत में ही मिलाने से लाखों सूक्ष्मजीव मिट्टी में एक्टिव रहते हैं। जो पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान करते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि पराली को खेत में ही मिलाए या इसे अन्य उपयोगी कार्यों में लगाएं।
किसानों को तकनीकी के बारे में जानकारी देते डॉ. हिमांशु पाठक।
फर्नीचर, डैकोरेशन में पराली का उपयोग
डॉ. पाठक ने बताया कि पराली को जला देने की बजाय इसे फाल्स सीलिंग, फर्नीचर और अन्य डैकोरेशन उत्पाद बनाने में उपयोग करने से किसानों को ऐक्स्ट्रा इनकम प्राप्त हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के नए प्रयोग न केवल प्रदूषण कम करेंगे बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी लाभ पहुंचाएंगे। कार्यशाला में उपस्थित किसानों ने बताया कि वे पराली प्रबंधन के जरिए अपनी मिट्टी की उर्वरता को बनाए रख रहे हैं और इसके अन्य उपयोग से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं।
करनाल पहुंचे आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक।
जीरो बर्निंग का लक्ष्य
डॉ. पाठक ने जलवायु परिवर्तन को गंभीर चुनौती मानते हुए कहा कि पराली जलाने से इसमें और वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने से बचने और इसके अन्य विकल्प अपनाने की जरूरत है, ताकि जलवायु पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को रोका जा सके। जीरो बर्निंग के लक्ष्य को हासिल करने के लिए डॉ. पाठक ने कहा कि इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ किसानों का सहयोग भी जरूरी है। उन्होंने विश्वास जताया कि केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों तथा किसानों की जागरूकता से यह लक्ष्य जल्द ही हासिल किया जा सकता है।
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