[ad_1]
गोस्सनर कॉलेज के आईक्यूएसी और स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें ‘झारखंड में पुरातत्व’ विषय पर वक्ताओं ने व्याख्यान दिए। विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित नालंदा बिहार आिर्कयोलॉजिकल म्यूजिय
.
कार्यक्रम का संचालन इतिहास विभाग की सहायक प्रो. डॉ. नीलिमा सिन्हा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सीमा टेटे ने किया। मौके पर कॉलेज प्रो. इंचार्ज प्रो. इलानी पूर्ती, इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. अनिता अंजू खेस, डॉ. बलबीर केरकेट्टा, राजनीति विभागाध्यक्ष प्रो. विनय जॉन, शिक्षक सचिव डॉ. प्रदीप गुप्ता, डॉ. प्रशांत गौरव, उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. अब्दुल बासित, अर्थशास्त्र के प्रो. बेनिसन कच्छप, प्रो. प्रियंका सोरेंग, डॉ. सलमा, डॉ. मीना तिर्की, डॉ. ध्रुपद, सह परीक्षा संचालक डॉ. एसी मिश्र सहित स्नातक और स्नातकोत्तर के सभी विद्यार्थी मौजूद थे।
मेगालिथ के माध्यम से पूर्वज रखते थे संस्कृति को सुरक्षित : डॉ. नीरज
सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, रांची सर्किल के एएसआई डॉ. नीरज कुमार ने झारखंड के मेगालिथ और उसकी संस्कृति पर विस्तार से चर्चा की। बताया कि मेगालिथ के माध्यम से हमारे पूर्वज अपनी ऐतिहासिक संस्कृति को सुरक्षित रखते थे। इस पर शोध कार्य करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। पुरातत्व विभाग इतिहास को प्रामाणिक स्रोत प्रदान करता है। बंगाल के शरतचंद्र राय ने झारखंड में सबसे पहले शोध कार्य शुरू किया। वर्तमान में कई पुरातात्विक स्थल अछूते रह गए हैं, जिन पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है।
[ad_2]
Source link