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धौलपुर के बाड़ी में नेशनल हाई-वे 11 बी पर शनिवार देर रात ओवरटेक के दौरान तेज रफ्तार बस ने ऑटो को टक्कर मार दी। हादसे में दो परिवारों के 12 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 8 बच्चे और 3 महिलाएं भी थीं।
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हादसा और भयावह हो सकता था। मृतकों की संख्या और बढ़ सकती थी, लेकिन एक मौत की वजह से 9 जिंदगियां बच गई।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
बस हाईवे के किनारे एक गाड़ी से भी टकराई। उस गाड़ी के नीचे एक परिवार रहता था।
हादसे के बाद भास्कर टीम माैके पर पहुंची। यहां बद्री नाम के एक बुजुर्ग से मुलाकात हुई। बद्री के परिवार में उनके सहित 9 सदस्य हैं। बद्री, उनकी पत्नी प्रेम, बेटा सतीश, बहू और पांच पोते-पाेतियां। जहां हादसा हुआ, परिवार उसी सड़क पर एक गाड़ी के नीचे सोता था। कुछ सदस्य गाड़ी के नीचे और कुछ सड़क पर सोते थे।
हादसे की रात बद्री का परिवार करौली गया हुआ था। क्योंकि बद्री की मां का निधन हो गया था। बेकाबू बस ने एक घर को टक्कर मारने के बाद उस गाड़ी को भी टक्कर मारी, जिसके नीचे बद्री का परिवार सोता था। जिसमें उनका रखा सारा सामान तहस-नहस हो गया।
बद्री की पत्नी प्रेम ने बताया कि बस की टक्कर से गाड़ी में रखा सारा सामान बिखर गया। इसमें करीब 1 किलो चांदी, 60 हजार रुपए और कुछ सोना भी था, जो चोरी हो गया। खाने-पीने के सामान और बर्तनों का भी नुकसान हो गया।
जब अगले दिन परिवार लौटा तो उन्हें हादसे के बारे में पता चला। बद्री और प्रेम बोले- अगर करौली नहीं गए होते तो हम भी हादसे का शिकार हो जाते।
चश्मदीद नसीर बोला- नशे में था ड्राइवर, ब्रेक तक नहीं लगाए
हादसे में मारे गए इरफान के परिवार के नसीर खान हादसे वाली रात ऑटो से करीब 50 मीटर आगे बाइक से जा रहे थे। नसीर ने बताया कि बरौली से भात भरकर परिवार के साथ लौट रहे थे। सुन्नीपुर आने के बाद मैं बाइक पर ऑटो से आगे चल रहा था। इस बीच बाड़ी की ओर से तेज रफ्तार स्लीपर बस आई।
अचानक सड़क पर गाय आ गई। ड्राइवर ने बचने की कोशिश में बस ऑटो से भिड़ा दी। ऑटो 200 मीटर तक बस के साथ घसीटते हुए गया। ड्राइवर ने बस के ब्रेक नहीं लगाए। बस सड़क किनारे बने रामलाल मीणा के घर के बाहरी हिस्से से टकराकर रुकी। मकान न आता तो बस ऑटो को घसीटते हुए सड़क किनारे खेत में उतर जाती। वहां बने घरों को भी नुकसान पहुंचाती।
सड़क पर बिखरे थे जूते-चप्पल
दुर्घटना के 60 घंटे बाद भी घटनास्थल हादसे की भयावहता की कहानी कह रहा था। सड़क के किनारे इरफान के बच्चों के जूते चप्पल, सामान, बस के कलपुर्जे बिखरे थे। घटनास्थल के ठीक सामने हर्ष मीणा का घर है। हर्ष ने बताया- शनिवार रात वह छत पर सो रहे थे। धमाके की आवाज से नींद खुली।
देखा तो सड़क पर चीख-पुकार मची थी। बच्चे दर्द से कराह रहे थे। वे मदद के लिए मौके पर पहुंचे। ग्रामीण विजय ने बताया कि नजारा वीभत्स था। किसी का हाथ शरीर से अलग था तो किसी का पैर। ये देख मदद के लिए पहुंचे लोग उल्टियां करने लगे। हर्षा, विजय, मूला और अन्य लाेगों ने एम्बुलेंस को फोन किया और पुलिस को सूचना दी।
हादसे के निशान अभी सड़क किनारे दिख जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि एक्सीडेंट वाली रात वो कभी नहीं भूल पाएंगे।
हादसे में इरफान का पूरा परिवार खत्म
हादसे में इरफान का पूरा परिवार खत्म हो गया। इरफान टेंपो चलाता था। शनिवार शाम परिवार में हो रहे शादी-समारोह में टेंपो लेकर गया था। उसके साथ पत्नी जूली, बड़ी बेटी आसमा, छोटी बेटी सलमा, 6 वर्षीय पुत्र साकिर और छोटे भाई आसिफ का लड़का अजान भी साथ था। अजान के भाई साजिद (10) को धौलपुर से जयपुर रेफर किया गया है। मरने वाले सभी लोग करीम कॉलोनी, गुमट के रहने वाले थे।
भास्कर रिपोर्टर के गले लगकर रोने लगी इरफान की बहन
बाड़ी के अजीजपुरा में शनिवार तक तीन घरों में शादी की तैयारियां चल रही थीं। रात ढलते-ढलते खुशियां मातम में बदल गईं।
भास्कर टीम इरफान के घर पहुंची। इरफान की छोटी बहन आसमां भास्कर रिपोर्टर को देख उसके गले लगकर रोने लगी। बोलीं- ‘साब मेरा भाई, हमारे बच्चे, भाभी को लौटा दो। तुम्हारा जीवनभर अहसान मानूंगी।’ आसमां बार-बार अपने भाई और बच्चों का नाम लेकर उन्हें पुकारती हैं और बेसुध हो जाती हैं। कमोबेश ऐसा ही हाल इरफान की भाभी जन्नत, साली सीमा, हादसे के बाद सीमा की एक मात्र बची बेटी आसियाना, दादी जमीला का भी है।
इरफान के चाचा पप्पू भी सदमे में थे। मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। सिर्फ इतना बोले- दोषियों को कड़ी सजा मिले। रिश्तेदार निजाम खान बोले- इरफान अकेला कमाने वाला था। परिवार सड़क पर आ गया है। सरकार गरीब परिवार की हर संभव मदद करे। इरफान के रिश्ते में भाई सुलेमान ने कहा- परिवार की मांग है कि दोषी ड्राइवर और बस मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
इरफान की बहन भास्कर रिपोर्टर के गले लगकर रोने लगी।
नहनू के परिवार में भी नहीं रहा कोई
टेंपो में सवार नहनु की पत्नी जरीना, बड़ी बेटी आशियाना, छोटी बेटी अंशिका और बेटा सानिफ सड़क हादसे का शिकार हो गए। नहनु पेशे से पत्थर मजदूर है। वे हादसे के समय अहमदाबाद में थे। डेढ़ महीने पहले उनके पैर का ऑपरेशन हुआ है। इस वजह से दो महीने से काम भी नहीं कर रहे थे। कुछ ही दिन पहले उन्होंने कर्ज लेकर अपने बेटे का एडमिशन करवाया था।
हादसे के बाद से नहनु बेसुध हैं। बच्चों और पत्नी जरीना को याद कर बेहोश हो जाते हैं। भास्कर से बातचीत में नेहनु ने कहा-मैंने जरीना को मना किया था कि रात की बजाय बच्चों को लेकर सुबह आ जाए, लेकिन वह रात में ही चली आई।
नहनु की सास शरीफन भी बेटी को याद कर बार बार बेहोश हो रही हैं। उन्होंने बताया कि अहमदाबाद में थी, जब उन्हें हादसे का मालूम चला। साले आसिफ का कहना है कि परिवार को मदद की दरकार है। उनकी बहन के परिवार में अब कोई नाम लेवा नहीं बचा है।
सास नूरन ने बताया- जरीना दो-तीन दिन से शादी में जाने की तैयारी कर रही थी। हादसे वाली रात करीब 9 बजे फोन पर बात भी की थी। तब जरीना को कहा था कि शाम की बजाय सुबह आना।
नहनु के परिवार को सांत्वना देते रिश्तेदार और इलाके के लोग।
जहीर की पत्नी और पुत्र की मौत
वहीं सड़क हादसे में नेहनू के चाचा जहीर की पत्नी परवीन और पुत्र दानिश की मौत हो गई। जहीर भी पत्थर मजदूरी का काम करता है।
हादसे में मारी गई परवीन की सास अलीमा बोलीं- हादसे ने सारी खुशियां छीन लीं। परवीन की मां माया ने बताया-बेटी से बात हुई तो सुबह आने के लिए कहा था।
हादसा 3 परिवारों को जिंदगी भर का दर्द दे गया।
ग्रामीणों में गुस्सा : लगातार हादसों के बावजूद जिम्मेदार नहीं तलाश रहे समाधान
हादसे को लेकर ग्रामीणों में गुस्सा नजर आया। बोले- इस हाईवे पर कई बार हादसे हो चुके हैं। शिकायतों के बावजूद हादसों की रोकथाम के प्रयास नहीं किए जा रहे। हाईवे पर बाड़ी से लालसोट के बीच दर्जनों गांव हैं। सड़क किनारे न तो बिजली के खंभे हैं, न रिफ्लेक्टर और डिवाइडर। आवारा पशु सड़क पर घूमते रहते हैं।
हादसे का शिकार हुए 12 लोग….
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