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रोहतक के पीजीआई में हृदय शल्य चिकित्सा विभाग में कार्डियक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने मौत के मुंह में जा चुके मरीज को नया जीवनदान देने का कार्य किया है। हृदय शल्य चिकित्सा विभाग अध्यक्ष डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि 16 अक्टूबर की रात सोनीपत जिले के एक
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चाकू छाती में फस गया और उसका हैंडल टूट कर अलग हो गया। ऐसे में मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए उसे पीजीआईएमएस के ट्रॉमा सेंटर में लाया गया। जहां पर चिकित्सकों ने मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए तुरंत कार्डियक सर्जरी विभाग में सूचना दी।
हृदय में फंसा था चाकू
डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि मरीज की गंभीर हालत के बारे में पता चलते ही डॉ. पनमेश्वर राथिया और डॉ. सौरंकी प्रधान को ट्रामा सेंटर मे मरीज की जांच के लिए भेजा गया। उन्होंने जब मरीज की जांच की तो पता चला की चाकू हृदय के अंदर पूरी तरह से फंसा हुआ है। ऐसे में उन्होंने इसकी सूचना निर्देशक कम हृदय शल्य चिकित्सा विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. एसएस लोहचब को दी। डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टर लोहचब तुरंत प्रभाव से हृदय शल्य चिकित्सा विभाग के ऑपरेशन थिएटर में पहुंचे और मरीज को ऑपरेशन के लिए कार्डियक सर्जरी ओटी में शिफ्ट करवाया।
रोहतक पीजीआई में भर्ती मरीज के साथ डॉक्टरों की टीम।
चाकू सीधा निकलते तो जा सकती थी जान
डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि डॉ. एसएस लोहचब के मार्गदर्शन में बेहोशी विभाग की डॉ. गीता, डॉ. इंदिरा, डॉ. प्रकाश और डॉ. मनसमिता के साथ मिलकर ऑपरेशन शुरू किया गया। डॉ. एसएस लोहचब ने बताया कि जब मरीज को ओटी में ले जाकर छाती खोलकर जांच की गई तो पता चला कि चाकू चौथे कॉस्टोकॉन्ड्रल जंक्शन से होते हुए दाएं फेफड़े, पेरीकार्डियम से होते हुए दाएं एट्रीयम में घुसा हुआ था। ऐसे में यदि चाकू को सीधा निकाल दिया जाता तो अत्यधिक रक्तस्राव होने के चलते मरीज की जान जा सकती थी। ऐसे में सभी चिकित्सकों ने मिलकर मरीज के आगामी रणनीति बनाकर ऑपरेशन शुरू किया, ताकि मरीज की जान को बचाया जा सके।
तीन-चार घंटे चला ऑपरेशन
डॉ. लोहचब ने बताया कि मरीज की हृदय के पास वाली झिल्ली को और अधिक खोला गया और चाकू को बाहर निकाल कर राइट साइड चैंबर को रिपेयर किया गया। इसके साथ ही फेफड़ों को भी रिपेयर करके चाकू पूरी तरह से बाहर निकाल दिया गया। डॉ. लोहचब ने बताया कि करीब 3-4 घंटे तक चले इस जटिल ऑपरेशन के बाद उनकी टीम मरीज की जान बचाने में पूरी तरह से सफल रही और अभी मरीज स्वास्थ्य लाभ ले रहा है और जल्द ही उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
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