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आरजेएस मुख्य परीक्षा-2024 के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (SC) ने राजस्थान हाई कोर्ट प्रशासन से उन अभ्यर्थियों के लॉ पेपर के नम्बर मांगे है, जिनके अंग्रेजी निंबध के पेपर में जीरो से 15 नम्बर आए है।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अनंत मिश्रा और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि केवल उन्हीं अभ्यर्थियों के नम्बर पेश किए जाए। जिन्होंने लॉ का पेपर अंग्रेजी मीडियम में दिया था।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में करीब 99 याचिकाकर्ताओं ने आरजेएस मुख्य परीक्षा-2024 के परिणाम को चुनौती दी है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाकर्ताओं की कॉपी मंगवाई थी। जिनके अंग्रेजी निबंध के पेपर में जीरो से 15 नम्बर आए थे। अब सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को मामले की अगली सुनवाई करेगा।
लॉ के पेपर में अच्छे अंक लाने वाले के अंग्रेजी में जीरो अंक मामले में याचिकाकर्ता विचित्र चौधरी ने बताया कि सुनवाई के दौरान बैंच ने कहा कि यह संभावना नहीं है कि कानून के पेपर में अच्छे अंक लाने वाले उम्मीदवार को अंग्रेजी में शून्य अंक मिलेंगे, क्योंकि लॉ का पेपर भी सब्जेक्टिव था। हमें बताया गया था कि अंग्रेजी निबंध के लिए दिए गए विषय भी बरी और सम्मानजक बरी, राजस्थान त्यौहार और चंद्रयान मिशन आदि थे।
हाई कोर्ट ने कहा- 95.76 अभ्यर्थियों के कम नम्बर आए हाई कोर्ट प्रशासन की ओर से पैरवी करते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अंग्रेजी निंबध के पेपर में 3534 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। जिनमे से 3384 अभ्यर्थियों के जीरो से 15 नम्बर आए हैं। उन्होने कहा कि अंग्रेजी निबंध के पेपर में कम अंक लाने वाले 200 अभ्यर्थियों को लॉ के पेपर में उच्च अंको को देखते हुए इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। जिन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया है, उन्हें उनके अंकों की जानकारी दे दी गई है और उन्हें मार्कशीट दे दी गई है।
कॉपियां गलत तरीके से जांचने का आरोप सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने आरजेएस मुख्य परीक्षा 31 अगस्त और 1 सितंबर को आयोजित करवाई थी। इसमें करीब 3500 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। हाईकोर्ट ने परीक्षा का परिणाम 1 अक्टूबर को जारी करते हुए इनमें से 638 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए कॉल किया।
जिन अभ्यर्थियों को असफल घोषित किया गया, उनमें से अधिकतर अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनके अंग्रेजी के पेपर में 0 से 10 नंबर ही दिए गए। हमारी मांग है कि अंग्रेजी विषय की कॉपियां भाषा विशेषज्ञों से जांच करवाएं। उसके आधार पर आरजेएस मुख्य परीक्षा का संशोधित परिणाम दोबारा जारी किया जाए।
हाईकोर्ट ने करीब एक महीने में ही परिणाम जारी कर दिया, जो कि प्रैक्टिकल नहीं लगता है। क्योंकि, थ्योरी की इतनी कॉपियों को जांचने में समय लगता है। कॉपियां जांचने में जल्दबाजी की गई है। इससे गड़बड़ी हुई है।
मुख्य परीक्षा में होते हैं 4 पेपर आरजेएस मुख्य परीक्षा में दो पेपर लॉ और दो पेपर लैंग्वेज-एसे (हिंदी-अंग्रेजी) के होते हैं। लैंग्वेज के पेपर में दिए गए विषयों पर निबंध लिखना होता है। मुख्य परीक्षा में कई अभ्यर्थियों को अंग्रेजी के पेपर में जीरो नंबर दिए गए।
याचिकाकर्ताओं का कहना है- जिन अभ्यर्थियों को जीरो नंबर दिए गए। उनमें से कुछ अभ्यर्थी हरियाणा, दिल्ली, गुजरात सहित अन्य राज्यों के ज्यूडिशियल एग्जाम में इंटरव्यू तक दे चुके हैं। कई अभ्यर्थी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और डीयू से पास-आउट हैं, जिन्होंने लॉ की पूरी पढ़ाई ही अंग्रेजी माध्यम से की है। ऐसे में उनके जीरो नंबर आना आश्चर्यचकित करने वाला है।
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