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झारखंड में नेशनल हाइवे-18 से आठ किलोमीटर दूर उत्तर की ओर बसा है पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला का बड़ाजुड़ी गांव। इसी गांव में 14 अप्रैल 1928 को हरिपदो सिंह का जन्म हुआ था। वे आजाद भारत में वर्ष 1952 में हुए आम चुनाव में जुगसलाई सह पोटका विधानसभा क्षेत्र के पहले विधायक बने थे। (उन दिनों पोटका विस क्षेत्र का यही नाम था) झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनावी समर में उतरे हरिपदो ने इस चुनाव में महज 250 रुपए खर्च किए थे। प्रचार के लिए हैंडबिल छपवाने पर ये रुपए खर्च हुए थे। हरिपदो एक दिन में 50 किमी तक साइकिल से जाकर प्रचार करते थे। इस चुनाव में झारखंड पार्टी के 32 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी।
हरिपदो सिंह के पुत्र रुद्र नारायण सिंह बताते हैं कि उस वक्त हरिपदो बाबू पार्टी के सबसे युवा सदस्य थे। महुलिया उच्च विद्यालय के बाद केएमपीएम जमशेदपुर से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी। रुद्र नारायण बताते है कि उन दिनों इस क्षेत्र में आदिवासी नेता नहीं था। जयपाल सिंह मुंडा सक्रिय थे। उन्हें आदिवासी नेताओं की जरूरत थी।
बड़ाधाधिका गांव के नरसिंग हेंब्रम ने हरिपदो सिंह की जयपाल सिंह मुंडा से मुलाकात कराई थी। इसके बाद हरिपदो सिंह को झारखंड पार्टी से टिकट दिलाया था। टिकट दिलवाने के बाद वे हरिपदो के पक्ष में प्रचार करने भी आए थे। हल्दीपोखर, कलिकापुर, कव्वाली में सभा की थी। उन दिनों साइकिल से चुनाव प्रचार किया जाता था। विरोधी-प्रत्याशी साथ-साथ प्रचार-प्रसार करते थे।
प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से हुई थी मुलाकात
रुद्र नारायण बताते हैं कि उनके पिता जब पहली बार पटना गए थे तो प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण से उनकी मुलाकात हुई थी। हरिपदो बाबू अक्सर उस मुलाकात की चर्चा करते नहीं थकते थे। राजेंद्र बाबू ने कहा था- आप अभी कम उम्र के हैं। बेहतर काम कीजिए। देश की जनता ने बहुत उम्मीद से आपको विजयी बनाकर भेजा है। राजेंद्र बाबू की इस बात को उन्होंने दिल में बैठा लिया था और जब तक विधायक रहे, कुछ न कुछ सीखते रहे। हरिपदो सिंह का निधन वर्ष 2006 में हुआ था।
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