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राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ने वाली है। वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली का अनुमान है कि अगले तीन दिनों तक दिल्ली की हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच सकती है।
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ने वाली है। वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली का अनुमान है कि अगले तीन दिनों तक दिल्ली की हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच सकती है।
दरअसल, हवा की रफ्तार सुस्त पड़ने से प्रदूषण के स्तर में इजाफा होने का अंदेशा है। इस बीच, रविवार को दिल्ली की हवा खराब श्रेणी में दर्ज की गई। दिल्ली की हवा दशहरे के बाद से ही खराब श्रेणी में चल रही है, लेकिन अब यह परेशानी और बढ़ने वाली है। दिल्ली में अगले तीन दिनों के बीच हवा की रफ्तार ज्यादातर समय 12 किलोमीटर प्रति घंटे से नीचे रहने की संभावना है। धीमी गति से चलने वाली इस हवा के चलते प्रदूषक कण ज्यादा समय तक वायुमंडल में बने रहेंगे और उनका बिखराव धीमा हो जाएगा। खासतौर पर रात के समय हवा शांत पड़ रही है। इसके चलते प्रदूषण के स्तर में और इजाफा होने की संभावना है।
12 इलाकों का सूचकांक 300 के ऊपर रहा
रविवार को दिल्ली के 12 इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 से ज्यादा यानी बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। इसमें वजीरपुर, आनंद विहार, जहांगीरपुरी, मुंडका और रोहिणी जैसे इलाके शामिल हैं।
प्रदूषण मीटर
19 अक्टूबर 278
20 अक्टूबर 277
यहां की हवा सबसे खराब
आनंद विहार 375
वजीरपुर 355
जहांगीरपुरी 359
खेतों में आग लगने की घटनाएं बढ़ने से खराब वायु गुणवत्ता का दौर शुरू
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार देर शाम राजधानी की वायु गुणवत्ता में गिरावट देखी गई, जब रात 11 बजे एक्यूआई 300 को पार कर गया। साथ ही पंजाब और हरियाणा में खेतों में आग लगने की घटनाओं में लगातार वृद्धि के कारण प्रदूषण और भी बढ़ गया।
नासा के फायर इंफॉर्मेशन फॉर रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम (FIRMS) से प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि पिछले सप्ताह दोनों कृषि प्रधान राज्यों में औसतन 90 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। हालांकि यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है, जब इसी अवधि में औसतन 600 या उससे अधिक आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन किसानों और अधिकारियों ने कहा कि आने वाले दिनों में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बढ़ेंगी।
सोमवार से बुधवार तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी के निचले स्तर पर रहने की संभावना है। रविवार को वायु प्रदूषण पर जारी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) के पूर्वानुमान में कहा गया है कि अगले छह दिनों के लिए एक्यूआई ‘बहुत खराब’ और ‘खराब’ के बीच रहने की संभावना है। इस गिरावट के लिए शांत हवाओं और पराली या अपशिष्ट जलाने को जिम्मेदार ठहराया गया है।
दिल्ली में प्रदूषण के लिए यूपी, हरियाणा जिम्मेदार : आतिशी
राजधानी में बढ़ रहे वायु एवं यमुना में प्रदूषण के लिए मुख्यमंत्री आतिशी ने हरियाणा और यूपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। आतिशी ने रविवार को कहा कि राजनीति के तहत भाजपा शासित दोनों राज्य दिल्लीवासियों को परेशान कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली सरकार पहले भी प्रदूषण से निपटने के लिए काम कर रही थी और आगे भी प्रदूषण कम करने में जुटी हुई है।
आतिशी ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। वायु के साथ यमुना में प्रदूषण भी पिछले कुछ दिनों में बढ़ा है। कालिंदी कुंज में यमुना के भीतर झाग बन रहा है। दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण भाजपा की राजनीति है। आतिशी ने कहा कि पराली जलने की वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है। पंजाब सरकार बीते दो साल से इसमें कमी ला रही है। केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021 में जहां पराली जलने की 71,300 घटनाएं हुई थीं तो वहीं आप सरकार बनने के बाद इसमें बीते वर्ष में 50 फीसदी की कमी आई है। इस वर्ष एक से 15 अक्टूबर के बीच भी पंजाब में पराली जलाने के मामले 27 फीसदी घटे हैं। अगर पंजाब सरकार इसे कम कर सकती है तो यूपी और हरियाणा सरकार क्यों नहीं कम कर सकती है।
वायु और जल प्रदूषण की दोहरी मार झेलने को मजबूर हो गए दिल्ली के लोग : भाजपा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि प्रदूषण के मुद्दे पर आप सरकार के पास नीति नहीं है। पंजाब में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण फैलता है, लेकिन सीएम यूपी और हरियाणा पर आरोप लगा रही हैं। इन नीतियों का ही नतीजा है कि आज दिल्ली वायु और जल प्रदूषण की दोहरी मार झेल रही है। सचदेवा ने कहा कि 10 वर्ष तक प्रदूषण के मुद्दे पर ‘आप’ सरकार सोती रही। सीएम बताएं कि यमुना प्रदूषण के लिए किस भूगोल के तहत वे हरियाणा और यूपी पर आरोप लगा रही हैं। यमुना जब पल्ला गांव में आती है तो वह साफ होती है। यूपी दिल्ली के बाद आता है। यूपी कैसे यमुना को मैली कर रहा है। सचदेवा ने कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री बताएं कि किस आधार पर वह हरियाणा और यूपी के औद्योगिक कचरे से यमुना प्रदूषण की बात कर रहे हैं।
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