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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कनाडा और अमेरिका के हालिया आरोपों के मद्देनजर भारतीय खुफिया एजेंसियों के नियमन के लिए कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस संबंध में एक गैर सरकारी विधेयक पेश…
नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कनाडा और अमेरिका के हालिया आरोपों की पृष्ठभूमि में कहा है कि संसदीय निगरानी के माध्यम से भारतीय खुफिया एजेंसियों के नियमन की जरूरत है। इसके लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए। चंडीगढ़ से लोकसभा सदस्य ने पहले ही इस संबंध में एक गैर सरकारी विधेयक का मसौदा पेश किया है। इन एजेंसियों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए राष्ट्रीय गुप्तचर न्यायाधिकरण स्थापित करने की मांग भी की है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहां की पुलिस ने पिछले दिनों यह आरोप लगाया था भारतीय राजनयिक कनाडा में सिख अलगाववादियों के बारे में अपनी सरकार के साथ जानकारी साझा करके उन्हें निशाना बना रहे थे।
पिछले साल सितंबर में कनाडा में भारत द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है और अपनी एजेंसियों या अधिकारियों की किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है।
तिवारी ने एक्स पर पोस्ट किया, अब समय आ गया है कि खुफिया एजेंसियों की संसदीय निगरानी को लेकर विचार हो। अगर हमारी गुप्तचर सेवाओं के लिए कानूनी आधार और एक मजबूत संसदीय निगरानी तंत्र प्रदान करने पर मेरे गैर सरकारी विधेयक को 2011 से 2024 तक की सरकारों द्वारा स्वीकार कर लिया गया होता, तो भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को शर्मिंदा करने वाली स्थिति में नहीं होता। उनके मुताबिक, उन्होंने पहली बार इस विधेयक को 2011 के बजट सत्र में, फिर 2021 के शीतकालीन सत्र में और फिर 9 अगस्त, 2024 को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया। कांग्रेस सांसद ने एक अन्य पोस्ट में कहा, 15 साल पहले मैंने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के लिए एक नीतिगत विवरण लिखा था कि खुफिया एजेंसियों को उचित कानूनी आधार पर और संसदीय निगरानी के अधीन क्यों रखा जाना चाहिए। यह पेपर मेरे गैर सरकारी विधेयक का आधार बन गया।
गुप्तचर सेवा (शक्तियां और विनियमन) विधेयक, 2024 में तिवारी ने भारत के क्षेत्र के भीतर और बाहर भारतीय खुफिया एजेंसियों की शक्तियों के उपयोग और कामकाज के तौर-तरीके को विनियमित करने और एजेंसियों के समन्वय, नियंत्रण और निगरानी की पैरवी की है।
तिवारी ने गुप्तचर ब्यूरो, रॉ और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन के लिए एक विधायी और नियामक ढांचा बनाने और इन एजेंसियों द्वारा संचालन के लिए अधिकृत प्रक्रिया और वारंट की प्रणाली के संबंध में एक प्राधिकरण स्थापित करने के मकसद से कानून बनाने का भी आह्वान किया।
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