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जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि पेंशनरों को छठवें वेतनमान का इंक्रीमेंट देकर विसंगति दूर करने का एक महीने में निर्णय लें। इससे प्रदेश के सवा चार लाख पेंशनरों और कर्मचारियों को फायदा होगा। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षत
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सक्सेना ने बताया कि मध्य प्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 9 के अनुसार वेतनवृद्धि एक समान 1 जुलाई से निर्धारित की गई। इसके कारण कर्मचारियों को छठवें वेतनमान में 13 से 18 महीने बाद वार्षिक वेतनवृद्धि का लाभ मिला। इस संबंध में केंद्र सरकार ने छठवें वेतनमान के नियम में 19 मार्च 2012 को परिपत्र जारी कर संशोधन किया। जिसके अनुसार जिनकी वेतनवृद्धि 2005 में 1 जनवरी से 1 जुलाई के बीच में होती थी, उन सभी को पांचवें वेतनमान की एक वेतनवृद्धि देकर छठवें वेतनमान में वेतन निर्धारण किया जाए। उसके बाद 1 जुलाई 2006 को वार्षिक वेतनवृद्धि दी गई।
यूपी-छत्तीसगढ़ ने दे दिया मप्र को छोड़कर उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्य सहित सभी राज्यों ने केंद्र सरकार के इस परिपत्र के अनुसार अपने-अपने कर्मचारियों का वेतन निर्धारण किया है। मप्र सरकार के कर्मचारियों का भी वेतन निर्धारण इसी आधार पर करने के संबंध में तत्कालीन प्रांतीय उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी ने 22 मार्च 2012 को वित्त विभाग को ज्ञापन दिया था। इस पर तत्कालीन वित्त मंत्री, मुख्य सचिव, वित्त प्रमुख सचिव के अनुमोदन के बावजूद आदेश जारी नही किए गए।
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