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झारखंड में भाजपा ने 66 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है। पार्टी ने पूर्व सांसदों सुदर्शन भगत, रवींद्र पांडेय और गीता कोड़ा को मैदान में उतारा है। कई राजनीतिक परिवारों को तवज्जो दी गई है, जबकि कुछ…
संदेश : पूर्व में दिल्ली ब्यूरो की खबर की जगह इसी का प्रयोग करें ————————————————-
– लोकसभा चुनाव हारने वाले सीता सोरेन, गीता कोड़ा, समीर उरांव को भी मौका
– पूर्व सांसद सुदर्शन भगत को गुमला और रवींद्र पांडेय को बेरमो से टिकट
– पूर्व स्पीकर दिनेश उरांव, पूर्व मंत्री लुईस मरांडी, राज पालिवार को मौका नहीं
– पूर्व पुलिस पदाधिकारी अरुण उरांव, नवनीत हेंब्रम को भी मौका
अखिलेश सिंह
रांची। झारखंड में भाजपा ने शनिवार को 66 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। भाजपा की सूची में सिर्फ दो विधायकों का टिकट कटा है। वहीं पार्टी ने अर्जुन मुंडा को छोड़ तमाम बड़े चेहरों पर दांव खेला है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में जीत नहीं दर्ज कर पाने वाले तीन प्रत्याशियों को अब विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा है।
पार्टी ने पूर्व सांसद सुदर्शन भगत को गुमला, रवींद्र पांडेय को बेरमो और सुनील सोरेन को दुमका से प्रत्याशी बनाया है। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सुदर्शन भगत और सुनील सोरेन का टिकट काट दिया था। वहीं 2019 में गिरिडीह सीट आजूस को देने के कारण रवींद्र पांडेय चुनाव नहीं लड़ पाए थे। उनके बेटे विक्रम पांडेय को भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में टुंडी से उम्मीदवार बनाया था। इस बार टुंडी सीट होल्ड पर है। भाजपा ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अरुण उरांव को भी सिसई और पूर्व पुलिस पदाधिकारी नवनीत हेंब्रम को महेशपुर से उम्मीदवार बनाया है। बाघमारा सीट से सांसद ढुलू महतो के भाई शत्रुघ्न महतो को मैदान में उतारा गया है। दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव हारने वाली गीता कोड़ा को जगन्नाथपुर और समीर उरांव को विशुनपुर से, जबकि सीता सोरेन को जामताड़ा से प्रत्याशी बनाया गया है। सीता सोरेन का मुकाबला मंत्री सह कांग्रेसी नेता इरफान अंसारी से होगा।
राजनीतिक परिवार को मिला तवज्जो
1. भाजपा ने सीटों के बंटवारे में राजनीतिक परिवारों को तवज्जो दी है। पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की सीट रही जमशेदपुर पूर्वी से उनकी पुत्रवधू पूर्णिमा दास साहू को उतारा है। रघुवर वर्ष 1995 से 2019 तक लगातार यहां से विधायक रहे, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में सरयू राय से पराजय के बाद सीट उनके हाथ से निकल गई थी।
2. साल 2014 में खरसावां विधानसभा क्षेत्र से हारने के बाद अर्जुन मुंडा राज्य की राजनीति से दूर केंद्रीय राजनीति में शिफ्ट कर दिए गए थे। इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताई, ऐसे में उनकी पत्नी मीरा मुंडा को पोटका से प्रत्याशी बनाया गया है।
3. झामुमो छोड़ भाजपा में आए चंपाई सोरेन को सरायकेला सीट से उम्मीदवार बनाया गया। वहीं, उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला से प्रत्याशी घोषित किया गया है।
4. गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के भाई रोशनलाल चौधरी को आजसू से भाजपा में शामिल करा बड़कागांव से उम्मीदवार बनाया गया है। रोशन लाल तीन बार आजसू के टिकट पर बड़कागांव से लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
5. पूर्व विधायक उपेंद्र नाथ दास के बेटे उज्ज्वल दास को फिर से मौका मिला है। 2007 में उपेंद्रनाथ दास की मौत के बाद हुए उपचुनाव में उज्ज्वल हार गए थे।
6. जनसंघ के जमाने में विधायक रहे शुकर रविदास की बेटी मंजू देवी को भाजपा ने हाल ही में पार्टी में शामिल कराया। अब उन्हें जमुआ से केदार हाजरा की जगह उम्मीदवार बनाया गया है।
7. धनबाद की राजनीति में अपना विशेष प्रभाव रखने वाले सिंह मेंशन परिवार से जुड़े पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को झरिया से दोबारा मैदान में उतारा गया है।
दूसरे दल और निर्दलीय विधायकों को मौका, कई दिग्गज चूके
भाजपा ने दूसरे दल और निर्दलीय विधायकों को भी मौका दिया है। पार्टी ने बरकट्ठा से निर्दलीय विधायक अमित यादव को उम्मीदवार बनाया है, वहीं एनसीपी से भाजपा में शामिल हुए कमलेश सिंह को हुसैनाबाद से मौका दिया गया है। इसके अलावा, कांग्रेस छोड़ भाजपा में आईं मंजू देवी को जमुआ, सन्नी टोप्पो को मांडर, झामुमो से आए लोबिन हेंब्रम को बोरियो से टिकट मिला है। वहीं, हाल ही में पार्टी में शामिल होने वाले गांडेय के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा को टिकट नहीं मिला। पूर्व मंत्री लुईस मरांडी, राज पालिवार को भाजपा ने मौका नहीं दिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मनिका से हरिकृष्ण सिंह, कांके से जीतू चरण राम का टिकट काट दिया था, लेकिन इस बार पार्टी ने उन पर भरोसा जताया।
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