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महेशपुर सीट पर इस बार विधानसभा चुनाव काफी रोचक होने के आसार दिख रहे हैं। इस बार यहां निर्दलीय प्रत्याशी निर्णायक हो सकते हैं। हालांकि इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और झामुमो के बीच ही होता रहा है। चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तिथि की घोषणा कर दिए जाने के बाद भी, पहले आप-पहले आप की स्थिति में भाजपा और झामुमो अपने-अपने प्रत्याशी के नामों की घोषणा अब तक नहीं कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो भाजपा और झामुमो दोनों ही दल के द्वारा इस बार इस विधानसभा सीट पर नए प्रत्याशी के नाम की घोषणा किए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो दोनों प्रमुख दलों को कितना लाभ पहुंचेगा, यह तो चुनाव परिणाम ही स्पष्ट करेगा। पर इतना तो तय है कि दोनों ही राजनीतिक दलों के द्वारा नए प्रत्याशी के नाम की घोषणा किए जाने का नुकसान भी दोनों दलों को उठाने की संभावना बढ़ सकती है। अगर नए प्रत्याशी के नामों की घोषणा होती है तो दोनों ही प्रमुख दलों के ऐसे पुराने चेहरे, जो टिकट पाने का दावेदार मानने की मंशा पाले बैठे हुए हैं, उनसे भितरघात की आशंका बढ़ गई है।
इतना ही नहीं गठबंधन धर्म का पालन करने के कारण महेशपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी खड़ा नहीं होने की स्थिति को देखते हुए, कांग्रेस के जाने-माने नेता ने कांग्रेस का दामन छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। अगर भाजपा और झामुमो द्वारा इस विधानसभा सीट से नए प्रत्याशी के नाम की घोषणा की जाती है, तो इस बार महेशपुर विधानसभा सीट पर होने वाले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की भूमिका अहम होने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसा इसलिए कि नए प्रत्याशी के नाम की घोषणा होने के बाद चुनाव में टिकट पाकर चुनाव लड़ने की मंशा पाले बैठे नेता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
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