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कोल्हान में झामुमो के बागी नेता भाजपा के टिकट पर न सिर्फ बाजी मार ले जाते हैं, बल्कि अच्छा मुकाम भी हासिल कर लेते हैं। विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद एक बार फिर इस मिथक को बल मिला है। हालांकि, संताल में ऐसा देखने को नहीं मिलता है। इस बार इसके केंद्र में झामुमो में नंबर दो की हैसियत रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन हैं। चुनाव से कुछ माह पूर्व भाजपा का दामन थामने वाले चंपाई के बारे में राजनीतिक पंडितों की यही राय है।
प्रदेश के कद्दावर नेता अर्जुन मुंडा वर्ष 2000 में झामुमो से भाजपा में शामिल हुए थे। वे एक बार मंत्री और तीन बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन रहे। इतना ही नहीं नेंरद्र मोदी की पिछली सरकार में जनजातीय कल्याण एवं कृषि मंत्री भी रहे थे। मुंडा पहली बार 27 साल की उम्र में खरसावां से झामुमो के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। वे वर्ष 2009 में जमशेदपुर और वर्ष 2019 में खूंटी के सांसद निर्वाचित हुए थे।
संताल में नहीं मिल पाती है सफलता
संताल परगना में झामुमो से भाजपा में आए नेता अपनी राजनीतिक पारी को आगे नहीं बढ़ा पाए। हेमलाल मुर्मू भाजपा के टिकट पर 2014 में राजमहल सीट पर चुनाव लड़े और हार गए। इसी तरह झामुमो नेता साइमन मरांडी भी भाजपा में शामिल हुए। दोनों नेताओं को सफलता नहीं मिली। हेमलाल मुर्मू झामुमो में लौट आए। इसी तरह साइमन मरांडी भी झामुमो में लौट आए। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन की बड़ी बहू भाजपा के टिकट पर दुमका से उम्मीदवार हुईं, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।
झामुमो में अहम स्थान रखने वाले शैलेंद्र महतो के 1996 में पत्नी समेत भाजपा में शामिल होने का लाभ उनकी पत्नी आभा महतो को मिला। उन्होंने दो बार जमशेदपुर से लोकसभा के चुनाव में दिग्गजों को मात देकर संसद की दहलीज पर कदम रखा था। वर्ष 1998 में टाटा स्टील के एमडी रह चुके रूसी मोदी को 96 हजार मतों से शिकस्त देकर पहली बार परचम लहराया था। सालभर बाद 1999 में हुए मध्यावधि चुनाव में आभा महतो ने कांग्रेस के घनश्याम महतो को एक लाख 20 हजार मतों से पटखनी देकर विजय हासिल की। इस तरह वे अपने पति शैलेंद्र महतो की तरह लगातार दूसरी बार जमशेदपुर की सांसद रहीं।
बहरागोड़ा से झामुमो के टिकट पर झारखंड विधानसभा पहुंचे विद्युतवरण महतो ने भाजपा का दामन थामा और बतौर सांसद हैट्रिक लगाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज कराया। वे वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे। चंपाई सोरेन झामुमो के संस्थापक सदस्य रहे हैं। सोरेन परिवार की रिश्तेदारी भी कोल्हान क्षेत्र में है। यहां पहले भी झामुमो को चुनौती देने वाले नेता होते रहे हैं। एक समय झामुमो के कद्दावर नेता रहे कृष्णा मार्डी ने भी पार्टी छोड़ दी थी। इस बार कोल्हान की सभी 14 सीटों पर भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी भी चंपाई सोरेन को दी गई है। इसके साथ ही उन्हें संताल परगना की सभी 18 सीटों पर भी स्टार प्रचार के तौर पर प्रचार-प्रसार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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