मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी। विशेष संवाददाता द्वारा
सोनभद्र । राष्ट्रीय संचेतना समितिसोनभद्र की ओर से गुरुवार को नगर
पालिका परिषद के निराला सभागार में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर ‘ रामायण की प्रासंगिकता ‘ विषय पर
विद्वानों के विचार सावन की बरसात की भांति गरज चमक के साथ बरस रहे थे । वक्ताओं ने कहा _ अपने पुरुषार्थ एवं साधना से ज्ञान , वैराग्य , और अध्यात्म के अप्रतिम ऊंचाई को प्राप्त करने वाले , संपूर्ण
मानवता के कल्याण के लिए अपनीसशक्त लेखनी से राम कथा को अमरत्व प्रदान करने वाले महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण के प्रसंग
सदैव प्रासंगिक रहेंगे । राम भारत की कालजई मृत्युंजई संस्कृति के
प्राण हैं । श्रीराम परात्पर ब्रह्म है ।
श्रीराम के काल में प्रत्यक्ष अनुभव से वाल्मीकि जी ने रामायण की
रचना की ।
डॉ अनुज प्रताप सिंह को राष्ट्रीय संचेतना समिति के अध्यक्ष रमेश देव पाण्डेय , संयोजक जगदीश पंथी ने
‘ ऋषि सम्मान 2024 ‘ प्रदान करते हुए उन्हें रामायण , यथार्थ गीता की प्रति , अंगवस्त्र , प्रशस्ति पत्र आदि
भेंट किए ।
गोष्ठी को मुख्य अतिथि डॉ सुधाकर मिश्र , पूर्व प्राचार्य राजकीय
पीजी कालेज ओबरा , वरिष्ठ साहित्यकार पारसनाथ मिश्र , राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित डॉ ओमप्रकाश त्रिपाठी ने संबोधित किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात
साहित्यकार और मधुरिमा संगोष्ठी के निदेशक आकाश बंद है कविता संग्रह के रचनाकार अजय शेखर और संचालन पत्रकार प्राध्यापक
भोलानाथ मिश्र ने किया ।
सर्व प्रथम मां सरस्वती और
महर्षि वाल्मीकि के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर वैदिक मंत्रोचार के बीच माल्यार्पण किया गया । स्वागत
भाषण करते हुए आयोजक जगदीश पंथी ने गोष्ठी का विषय प्रवर्तन किया । वाणी वंदना जाने माने कवि दिवाकर द्विवेदी मेघ विजयगढ़ी नेकिया ।
इस आयोजन में सोन साहित्य संगम के संयोजक कवि अधिवक्ता
राकेश शरण मिश्र , कवि प्रदुम्न कुमार त्रिपाठी , कवि प्रभात सिंह
चंदेल , दीपक केशवानी समेत नगर और जनपद तथा पड़ोसी जिलों के साहित्यकार , पत्रकार और कवि सहभागी बने ।
द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी वीर शाम तक चलती रही ।