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सड़क दुर्घटना में वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी की मौत हो गई। देर रात तक मनोज शुक्ल व अविनाश दुबे के घर सांत्वना देने वालों का तांता लगा रहा।
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ग्वाल मैदान में मनोज शुक्ला के घर पर मौजूद पूर्व विधायक कलियान सिंह दोहरे व अन्य
– फोटो : अमर उजाला
फतेहपुर में सड़क हादसे में वरिष्ठ पत्रकार एवंं समाजसेवी मनोज शुक्ल तथा राजनीति व शिक्षा के क्षेत्र के दिग्गज अविनाश दुबे के निधन से पूरा जिला शोक में डूब गया। दोनों लोगों के घरों में देर रात तक सांत्वना देने वालों का तांता लगा रहा। वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. सुमन शुक्ला वाजपेयी बतातीं हैं कि मनोज शुक्ल ने महाकवि घाघ को पहचान दिलाई थी। घाघ की कहावतें विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। उनकी जन्मस्थली को घाघनगर बनाने के लिए उन्होंने एक वैचारिक आंदोलन चलाया था। वर्तमान में वहां पर चौधरी सराय मोहल्ला बसा है। हर साल वह घाघ सम्मान भी प्रदान करते थे।
शहर के मोहल्ला ग्वाल मैदान के धर्म धाम निवासी प्रख्यात साहित्यकार एवं पीएसएम डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. जीवन शुक्ल के पुत्र मनोज शुक्ल कन्नौज साप्ताहिक अखबार के संपादक होने के साथ प्रखर समाजसेवी भी थे। वहीं, मकरंदनगर निवासी अविनाशचंद्र दुबे गोमती देवी गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्रबंधक थे और जिला कांग्रेस कमेटी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी थे। इसके अलावा वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी थे। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल व पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्र उनके फूफा हैं। अविनाश दुबे की कोठी सूर्य निवास पर 1942 में असहयोग आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी आ चुके हैं। अविनाश दुबे के बाबा पं. मुरलीधर दुबे महात्मा गांधी को फर्रुखाबाद से अपनी डैज कार से लेकर आए थे, जो आज भी उनके आवास पर खड़ी है।
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