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अपनी धरती पर पनप रहे आतंकवाद को रोकने के बजाय कनाडा खालिस्तान के मुद्दे पर भारत पर दोषारोपण करता रहता है. एक साल से उसने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत के खिलाफ जो रुख अपनाया हुआ है, उसकी वजह से दोनों देशों के रिश्ते निचले स्तर पर आ गए हैं. सोमवार (14 अक्टूबर, 2024) को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय राजनयिकों को वापस लौटने का फरमान सुनाकर ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं, जिसे सुधरने में कई साल लग जाएंगे. कनाडा जो आरोप भारत पर लगा रहा है, उनमें कोई दम नहीं है क्योंकि उन्हें साबित करने के लिए उसके पास कुछ नहीं है.
खालिस्तान और वन इंडिया के मुद्दे पर कुछ दिन पहले कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने एक बयान दिया. अपने बयान में एक तरफ वह खालिस्तानी मूवमेंट को भयानक बता रहे हैं और दूसरी तरफ उसको कानूनी तौर पर सही भी कह रहे हैं. उन्होंने भारत के वन इंडिया के सम्मान की भी बात की थी.
डेविड मॉरिसन ने कहा कि भारत में वन इंडिया है और कनाडा उसका सम्मान करता है. उन्होंने कहा कि कनाडा की नीति साफ है कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यहां वन इंडिया है और यह एकदम स्पष्ट है. डेविड मॉरिसन ने खालिस्तान मूवमेंट पर कहा कि खालिस्तानी आतंकी जो कर रहे हैं वह बहुत बुरा है, लेकिन कनाडा का कानून इसकी इजाजत देता है.
डेविड मॉरिसन ने आगे कहा कि हम कई चीजों को देखना नहीं चाहते हैं, लेकिन फ्रीडम ऑफ स्पीच के अधिकारों के तहत हर किसी को अपनी बात रखने की अनुमति है. उनका यह बयान पिछले हफ्ते 6 अक्टूबर को आया था और 16 अक्टूबर को कनाडा सरकार ने भारतीय राजनयिकों को भारत लौटने का आदेश सुनाते हुए गंभीर आरोप लगाए थे.
जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारतीय उच्चायोग संजय कुमार वर्मा का सीधे तौर पर लिंक होने का आरोप लगाया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कनाडा के हर आरोप का मुंहतोड़ जवाब दिया और सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. भारत ने भी कनाडाई राजनयिकों अपने देश वापस लौटने का आदेश दे दिया है.
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