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दिल्ली में छह महीने की देरी के बाद आखिरकार मेयर के चुनाव होने वाले हैं। दिवाली से पहले अगले दो हफ्तों में चुनाव होने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि तारीख तय करने के लिए फाइल सोमवार को मौजूदा मेयर शेली ओबेरॉय के पास पहुंच गई है।
दिल्ली में छह महीने की देरी के बाद आखिरकार मेयर के चुनाव होने वाले हैं। दिवाली से पहले अगले दो हफ्तों में चुनाव होने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि तारीख तय करने के लिए फाइल सोमवार को मौजूदा मेयर शेली ओबेरॉय के पास पहुंच गई है। यह छह महीने के पोस्टपोनमेंट (स्थगन) के बाद चुनाव कराने की दूसरी कोशिश का संकेत है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव प्रक्रिया में शामिल एमसीडी के एक अधिकारी ने बताया, ‘मेयर को अब फाइल मिल गई है और जैसे ही वह तारीख तय करेंगी, इसे एमसीडी कमिश्नर के पास भेज दिया जाएगा। उसके बाद इसे शहरी विकास मंत्री और फिर मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा, जो प्रिसायडिंग (पीठासीन) अधिकारी की सिफारिश करेंगे। आमतौर पर मेयर को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाता है, लेकिन कोई भी अनुभवी पार्षद यह भूमिका निभा सकता है। इसके बाद एलजी आधिकारिक तौर पर पीठासीन अधिकारी को नॉमिनेट करेंगे।’
दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम के तहत, मेयर चुनाव हर साल अप्रैल में एमसीडी सदन के पहले विधानसभा सत्र के दौरान होने चाहिए। इस साल, यह 26 अप्रैल को होने थे। हालांकि, चुनावों में दो बड़ी बाधाएं आईं- आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और उपराज्यपाल द्वारा पीठासीन अधिकारी का नामांकन न करना। चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा मेयर चुनाव कराने की अनुमति देने की जरूरत थी क्योंकि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजधानी में एमसीसी लागू थी।
हालांकि बाद में ईसीआई ने कहा कि उसे ‘एमसीसी के एंगल से कोई दिक्कत नहीं है।’ वहीं एलजी वीके सक्सेना ने पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उनका कहना था कि प्रक्रिया के तहत निर्णय लेने से पहले मुख्यमंत्री से परामर्श करना जरूरी है। फाइल पर सीएम के हस्ताक्षर नहीं हो सकते थे, क्योंकि उस समय दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल जेल में थे। आम आदमी पार्टी (आप) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों के उम्मीदवारों ने 18 अप्रैल को ही नामांकन दाखिल कर दिए थे।
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